Vishnu vahan garuda: भगवान विष्णु ने गरुड़ पक्षी में ऐसा क्या देखा, जो बना लिया उसे अपना वाहन, पढ़ें ये पौराणिक कथा
Vishnu vahan garuda: हिंदू धर्म में मौजूद समस्त देवी-देवताओं के वाहन मौजूद हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब भी कोई देवी-देवता धरती पर आते हैं, तब वह अपने वाहन को साथ लेकर आते हैं. जिस तरह से माता दुर्गा (Mata durga) शेर की सवारी करती हैं, उसी प्रकार से भगवान शिव (Lord shiva) को नंदी बेहद प्रिय हैं.
ऐसे ही देवी लक्ष्मी का वाहन उल्लू और गणेश जी का वाहन मूषक है. इसी तरह से भगवान विष्णु का वाहन भी गरुड़ (garuda) कहलाता है. गरुड़ पक्षी के बारे में प्रचलित है कि वह आसमान में उड़कर काफी ऊंचाई पर छोटे जीवों को देख सकता है. इसके साथ ही गरुड़ की नजर बेहद पैनी होती है और गरुड़ सांपों का शत्रु कहलाता है.
हिंदू धर्म (Hindu dharm) में गरुड़ को आतंक नष्ट करने वाला जीव कहा गया है. इस प्रकार गरुड़ भगवान विष्णु (Lord vishnu) का वाहन कैसे बना? इसको लेकर भी एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है. हमारे आज के इस लेख में हम आपको उसी के बारे में बताएंगे, तो चलिए जानते हैं...
भगवान विष्णु ने गरुड़ को अपना वाहन क्यों चुना?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवताओं ने असुरों से अमृत कलश प्राप्त कर लिया था, तब गरुड़ देवताओं से अमृत कलश छीनकर अपनी मां के पास ले गया. कहा जाता है गरुड़ की मां सांपों की माता कद्रू की दासी थी. सांपों की माता ने गरुड़ के सामने यह शर्त रखी कि यदि वह उनके पुत्रों के लिए अमृत लाकर देगा, तब वह गरुड़ की माता को दासत्व से मुक्त कर देंगी.
ऐसे में गरुड़ ने देवताओं से अमृत कलश छीनकर सांपों की माता को लाकर दे दिया. इसके बाद गरुड़ की माता मुक्त हो गई. उधर इंद्रदेव (Indra dev) सांपों की माता के पास से अमृत कलश छीनकर ले गए और दोबारा देवताओं के पास ले गए. कहा जाता है कि सांपों की माता ने जिस कुशा घास के ऊपर अमृत कलश रखा था, सांपों ने उसी जगह को चाटना शुरू कर दिया.
इसी वजह से सांपों की जीभ के दो हिस्से हो गए. उधर जब भगवान विष्णु ने गरुड़ देव की मातृभक्ति देखी, वह गरुड़ से काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने तब से गरुड़ को अपना वाहन बना लिया. गरुड़ भी भगवान विष्णु की सेवा करके स्वयं को भाग्यशाली मानता है.
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