शनि की साढ़ेसाती क्या होती है और इससे बचने के उपाय
अक्सर लोगों ने शनि की साढ़ेसाती के बारे में सुना होगा. आइए जानते हैं कि साढ़ेसाती का अर्थ और यह मानव जीवन को कैसे प्रभावित करती है. ऐसा कहा जाता है कि साढ़ेसाती से सिर्फ कष्ट और परेशानियां मिलती है. लेकिन ऐसा नहीं है शनि देव अच्छे कर्मों का फल पुरस्कार के रूप में प्रदान करते हैं. वैसे तो शनि की साढ़ेसाती से राजा हो या रंक कोई नहीं बच सकता. साढ़ेसाती का मतलब पिछले किए गए कर्मों के हिसाब से है. अच्छे कर्मों का फल उत्तम देती है और बुरे कर्म होने पर शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तीनों ही सुख नष्ट कर देती है.
शनि की साढ़ेसाती
साढ़ेसाती अर्थात साढे सात वर्ष की अवधि. शनि जब 12 राशि में प्रवेश करते है जिसमें 30 साल का समय लगता है. अर्थात शनि एक राशि में ढाई वर्ष निवास करते है. इस प्रकार शनि 3 राशियों में निवास पूरे साढे सात वर्षों में कर पाते है. इसी को ज्योतिष शास्त्र में साढ़ेसाती कहा जाता है.
साढ़ेसाती का प्रभाव
शनि का प्रभाव सभी राशियों में अलग-अलग होता है जैसे कुछ व्यक्ति को साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू में ही देखने को मिल जाता है और कुछ को साढ़ेसाती समाप्त होने पर कष्ट झेलने होते हैं. शनि की साढ़ेसाती शुरू होने पर शनि का प्रभाव हमारे दिमाग पर असर करने लगता है जिससे हम अपनी सोच विचार और बुद्धि से नियंत्रण खो देते हैं. जिसके चलते अच्छे कार्य को भी गलत तरह से करने लगते हैं. और उसी वजह से व्यक्ति को कष्ट एवं परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
याद रखने योग्य बातें
-साढ़ेसाती के समय व्यक्ति को अपने मन के दरवाजे खोल कर शांत चित्त होकर कार्य करना चाहिए. किसी भी कार्य के निर्णय लेने से पहले दिमाग को शांत रखना चाहिए.
-ज्योतिषियों के अनुसार इसकी शुरुआत होने पर जप, तप करना चाहिए.
-पौराणिक मान्यताओं और विद्वानों के अनुसार यदि साढ़ेसाती के समय हनुमान जी की आराधना की जाए तो शुभ माना जाता है.
-इस समय 'नीलम रत्न' धारण नहीं करना चाहिए.
-किसी शुभ और नए कार्य को इस समय प्रारंभ नहीं करना चाहिए.
-वाहन भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए.
यदि आप इन कुछ खास बातों को ध्यान में रखते हैं. तो शनि की साढ़ेसाती के प्रकोप से बचा जा सकता है.
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