कलियुग में कब और कहां होगा सृष्टि के पालनहार का अवतार
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार माना जाता है. विष्णु जी पूरे संसार में हर समय हर जगह मौजूद रहते है. यदि हम गीता में भगवान श्री कृष्ण की बात करें, तो उसमें उन्होंने कहा है कि “जब जब धरती पर धर्म की हानि होती हैं और अधर्म बढ़ता है, तब तब धर्म की स्थापना के लिए वह अवतार लेते है." प्रभु श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है. शास्त्रों की मानें तो उसमें भगवान विष्णु के 10 अवतारों का वर्णन है उसमें, जिसमें से 9 अवतार अभी तक जन्म ले चुके है. अब भगवान विष्णु का अंतिम अवतार बाकी है.
सृष्टि के पालनहार का स्वरूप
शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु का अंतिम अवतार ‘कल्कि’ स्वरूप होगा. भगवान का यह अवतार कलयुग के अंत में होगा. श्रीमद्भागवतपुराण में भगवान विष्णु के 10 अवतारों की कथाएं विस्तृत रूप से लिखित में उपलब्ध हैं. इसी पुराण में 12वे स्कंध के दूसरे अध्याय में भगवान के कल्कि स्वरूप का विवरण किया गया है. यदि पुराण की माने तो संभल में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में जन्म लेंगे भगवान विष्णु के अवतार कल्कि जी.
शास्त्रों में बताया गया है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान विष्णु का कल्कि अवतार धरती पर आना तय है. इसलिए मनुष्य इस तिथि को कल्कि जयंती के रूप में मनाते है.
कल्कि जी देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार के समस्त पापियों का स्रंघार करेंगे, जिससे धर्म की पुनः स्थापना होगी. भारत में भगवान कल्कि के अवतार के कई मंदिर मौजूद है, और यह भगवान विष्णु का पहला अवतार है जिसकी पूजा उसके अवतार से पूर्व ही शुरू हो चुकी है. भगवान कल्कि का सबसे प्रसिद्ध मंदिर जयपुर में हवा महल के सामने स्थित हैं. इस मंदिर को सन् 1739 में महाराज जयसिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया था.
यह भी पढ़ें: बगलामुखी जयंती क्यों मनाते है इस तरह करें पूजा