साल 2021 में माघ पूर्णिमा कब है, पूजा विधि और महत्व
भारतीय संस्कृति और भारतीय परंपरा में हर पूर्णिमा का अपना अलग-अलग महत्व होता है. लेकिन हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का बड़ा ही धार्मिक महत्व है. और इसे माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता के अनुसार इस दिन संगम प्रयाग पर स्नान और ध्यान करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
माघ पूर्णिमा की धार्मिक मान्यताएं एवं महत्व
धार्मिक मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन देवता पृथ्वी पर आते हैं.
-ऐसा भी माना जाता है कि देवता प्रयाग में स्नान, दान और मनुष्य रूप धारण करके भजन, सत्संग आदि भी करते हैं.
-पुराणों के अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगाजल में प्रवेश करते हैं.
-इस दिन गंगा जल का स्पर्श मात्र करने से भी स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है.
-इस पावन दिन सूर्योदय से पहले जल में भगवान का तेज रहता है, जो पाप को नष्ट कर देता है.
-माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करने से व्यक्ति स्वर्ग लोक का उत्तराधिकारी बन जाता है.
शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को मनाई जाती है. इसके बाद नया महीना शुरू हो जाता है. इस बार माघ पूर्णिमा 27 फरवरी को शनिवार के दिन पड़ रही है.
आरंभ: 26 फरवरी, दिन शुक्रवार, समय शाम 3 बजकर 45 मिनट
समाप्त: 27 फरवरी, दिन शनिवार, समय दोपहर 1 बजकर 46 मिनट
यज्ञ तप और दान का महत्व
-इस दिन यज्ञ, तप और दान का अधिक महत्व होता है.
-इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.
-भोजन, वस्त्र, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अनाज आदि का दान करना पुण्यकारी माना जाता है.
-तिल के दान का इस दिन विशेष महत्व माना गया है.
-सत्यनारायण भगवान की कथा एवं दान फलदाई माना गया है. इसके अलावा गायत्री मंत्र या भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करना चाहिए.
-पू्र्णिमा के दिन गर्म वस्त्र कंबल का दान करने से स्वर्ग लोक मिलने की मान्यता है.
-गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
जरूर पढ़े:- जानें, घर में किस दिशा की ओर दीपक जलाने से होगा धन का लाभ