सोमवती अमावस्या कब है… जानिए पूजा विधि
सोमवती अमावस्या का सनातन धर्म में एक विशेष महत्व है. हिन्दू धर्म में 1 माह के 30 दिनों को 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष. यह चन्द्र कला के आधार पर निर्धारित किया गया है. और हर माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते हैं. अमावस्या के दिन स्नान, दान तथा अन्य धार्मिक कार्य किए जाते हैं.
इस बार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 12 अप्रैल को है. और इस वर्ष 2021 में सिर्फ़ एक ही सोमवती अमावस्या पड़ रही है. संयोगवस सोमवती अमावस्या सोमवार के दिन पर ही पड़ती है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. सम्पूर्ण वर्ष में एक बार पड़ने की वजह से यह दिन और विशेष एवं महत्वपूर्ण माना जाता है.
सनातन धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व होने के कारण चैत्र अमावस्या पर कई धार्मिक कार्य किए जाते हैं. मान्यता है की आपने पितरों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस दिन सभी को व्रत करना चाहिए. इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष एवं शांति मिलती है. इस दिन श्रद्धालु को पवित्र नदी व तालाब में स्नान करना चाहिए इससे पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा इस दिन बाल काटने, दाढ़ी बनाने या नाखून काटने का भी कार्य नहीं करना चाहिए.
सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त
रविवार 11 अप्रैल 2021 से अमावस्या तिथि की शुरुआत प्रातः 06 बजकर 05 मिनट से होगी. और अगले दिन यानी 12 अप्रैल को सोमवार प्रातः 08 बजकर 02 मिनट पर समाप्ति होगी.
चैत्र अमावस्या पूजा विधि
किसी भी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने के बाद अपने पितरों को जल अर्पित करते हैं. दूध में काले तिल मिलाकर पितृ तर्पण करना चाहिए और किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर उचित दक्षिणा भी देनी चाहिए. व्यक्ति को अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखना चाहिए और किसी गरीब की मदद करनी चाहिए. वह स्त्रियां जो सुहागन हैं उन्हें इस दिन अपने पति की दीर्घायु के लिए पूरे विधि विधान से व्रत रखना चाहिए. और माता पार्वती की आराधना करनी चाहिए. इसके बाद तुलसी की पूजा कर तुलसी के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए.
सभी श्रद्धालुओं को सोमवती अमावस्या का व्रत अवश्य रखना चाहिए. इससे आपके पितरों की आत्मा को शांति व आपके मन को सुकून मिलेगा.
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