शिव धनुष कौन लेकर आया था, आखिर माता सीता के स्वयंवर भवन में हुआ क्या था?

 
शिव धनुष कौन लेकर आया था, आखिर माता सीता के स्वयंवर भवन में हुआ क्या था?

पौराणिक कथाओं के अनुसार विश्वकर्मा जी ने दो अनोखे और दैवीय धनुष बनाए जिनका नाम था पिनाक और शारंग. भगवान शिव को पिनाक और विष्णु जी को शारंग धनुष भेट किया. पिनाक धनुष को हम शिव धनुष के नाम से जानते है. पिनाक धनुष वह धनुष है जो माता सीता के स्वयंवर में था.

यह लेकर आए थे शिव धनुष

इसी धनुष को तोड़ने वाले से माता सीता का विवाह होना था. यह धनुष इतना भारी था कि उसे उठाना तो दूर, उसे हिलाना भी संभव नहीं था. अब सवाल यह उठता है कि जो धनुष इतना दैवीय था, जिसे कोई भी हिला नहीं सकता था, उसे स्वयंवर भवन तक उठा कर कौन ले कर आया. शिवजी का यह धनुष राजा जनक के पास था. एक बार बचपन में जब सीताजी अपनी सखियों के साथ खेल रही थीं, तभी उन्हें यह शिव धनुष दिखाई दिया. उसी समय में ही मां सीता ने उस धनुष को उठा लिया था.

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इसी वाक्य के बाद से महाराज जनक ने यह निर्णय लिया कि सीता जी का विवाह उसी पुरुष से होगा जो इस धनुष को उठाने में सक्षम होगा. जब सीताजी विवाह योग्य हो गई, तब विवाह के लिए स्वयंवर की घोषणा हुई. अब प्रश्न यह था कि स्वयंवर भवन तक धनुष को कौन उठा कर ले कर आएगा? कौन इतना बलशाली है जो इस धनुष को उठा सके? इस बात को ले कर सभी लोग चिंतित थे, लेकिन राजा जनक को यह ज्ञात था कि वह कौन है जो इस शिव धनुष को उठा सकता है.

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