कौन थे प्राचीन काल के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर

 
कौन थे प्राचीन काल के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर

सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर की बात करते ही हमें द्रोणाचार्य शिष्य अर्जुन, परशुराम शिष्य कर्ण या फिर एकलव्य जैसे वीर योद्धा याद हैं. किन्तु इनसे बड़े-बड़े धनुर्धर हुए हैं प्राचीन काल में जैसे गंगापुत्र भीष्म, परशुराम, द्रोणाचार्य इत्यादि. आइये आज हम इन सभी वीर योद्धाओं के बारे में जानते हैं.

सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर

श्री कृष्ण

सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर में हम सर्वप्रथम बात करेंगे भगवान श्री कृष्ण की, जी हां कृष्ण जी का मुख्य शस्त्र चक्र था किंतु उनको धनुष विद्या में भी महारत हासिल थी. श्री कृष्ण ने प्रारंभ में स्वतः प्रशिक्षण किया और बाद में उन्होंने गुरु संदीपनी से दिव्यास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया. और गोपो को उसी प्रकार प्रशिक्षित कर नारायणी सेना का निर्माण किया. इन्होंने सुदर्शन चक्र की प्राप्ति परशुराम जी से की थी.

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भगवान परशुराम

परशुराम जी ने धनुष विद्या का ज्ञान देवो के देव महादेव से लिया था. इनका मुख्य शस्त्र परशु यानी फरसा था. किन्तु धनुष विद्या में भी इनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता था.

भीष्म पितामह

भीष्म पिताहमह का प्रशिक्षण परशुराम और वसुओं द्वारा हुआ था. धनुष, तलवार और गदा इनके मुख्य अस्त्र-शस्त्र थे. इनके पास दिव्यास्त्र, ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र जैसी शक्तियां थीं. भीष्म पितामह ने यह ललकार की थी कि श्री कृष्ण और शंकर जी के अलावा उन्हें कोई भी पराजित नहीं कर सकता.

गुरु द्रोणाचार्य

गुरु द्रोण को धनुष विद्या में महारत हासिल थी. इसका अंदाजा आप उनके शिष्य अर्जुन के पराक्रम से लगा ही सकते हैं. कि गुरु के पास कैसी शक्तियां होंगी.

अर्जुन

अर्जुन गुरु द्रोण के शिष्य थे. और उनको इंद्र व शिव जी के द्वारा भी प्रशिक्षण प्राप्त था. अर्जुन का मुख्य अस्त्र धनुष था. उनको सुदर्शन चक्र छोड़कर बाकी सभी अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान था. सबसे भयंकर माना जाने वाला अस्त्र दिव्यास्त्र, पाशुपतास्त्र का भी ज्ञान था. जब गुरु द्रोण ने अर्जुन धनुर्विद्या का ज्ञान दिया तो उन्होंने अर्जुन को वचन दिया था कि तुमसे श्रेष्ठ इस संसार में दूसरा कोई धनुर्धर नहीं होगा.

सूर्य पुत्र कर्ण

कर्ण के मुख्य अस्त्र-शस्त्र गदा, तलवार और धनुष थे. कर्ण को दिव्यास्त्र, ब्रह्मास्त्र का भी ज्ञान था. कर्ण इतने वीर थे कि उन्होंने विजय यात्रा में मगध से लेकर पूरे भारत के सभी वीरों को पराजित किया था. जब महाभारत में अर्जुन और कर्ण का युद्ध हुआ तो जब कर्ण का बाण अर्जुन के रथ के पास आता तो अर्जुन का रथ उसकी शक्ति से पीछे हट जाता था. कर्ण के गुरु परशुराम जी थे.

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