बगलामुखी जयंती क्यों मनाते है इस तरह करें पूजा
बगलामुखी जयंती वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है. इस दिन मां की पूजा अर्चना की जाती है. इस वर्ष बगलामुखी जयंती 20 मई को मनाई जाएगी. यदि हम पौराणिक कथाओं की माने तो मां बगलामुखी की आराधना करने से सभी बाधाएं और कष्ट दूर हो जाते हैं. इसके साथ ही शत्रुओं पर जीत हासिल होती है. शत्रुनाशिनी मां बगलामुखी की साधना से सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती है.
मां बगलामुखी के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है बगलामुखी अष्टमी. मां बगलामुखी को हम पीतांबरा देवी के नाम से भी जानते है. मां को पित वस्त्र अत्यधिक प्रिय हैं, इसीलिए मां की आराधना के वक्त यदि भक्त पीले वस्त्र धारण करते है तो माता अत्यधिक प्रसन्न होती हैं. मां बगलामुखी का सिंहासन रत्नों से जड़ा है, मां उसी पर सवार होकर अपने शत्रुओं का संहार करती है. मां दस महाविद्या में से आठवीं महाविद्या है. मां स्तंभन की देवी है.
बगलामुखी जयंती पर ऐसे करें पूजा
बगलामुखी जयंती के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर पीले वस्त्र धारण करके मां की आराधना करने जाए. जब मां की आराधना शुरू करें तो उस समय यदि संभव हो तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके मां का ध्यान करे. मां बगलामुखी की चौकी सजाने के लिए पित वस्त्र के कपड़े का प्रयोग करें और उस चौकी पर बिछा लें. मां को पीले फूल, नारियल वा मिठाई का भोग अर्पण करें. इसके बाद मां बगलामुखी की चालीसा पढ़े और उसके बाद आरती करें. इस जयंती पर व्रत रखने वाले व्यक्ति संध्याकाल में मां बगलामुखी की कथा का पाठ करें और उसके बाद फलार ग्रहण करें. इससे मां की आराधना पूर्ण होती है और मां जल्दी प्रसन्न होती है.
बगलामुखी जयंती पर मां बगलामुखी की पूरे विधि विधान से पूजा करने से भक्तजनों को सुख-समृद्धि व सौहार्द की प्राप्ति होती है.
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