एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है… जानिए महत्व
एकादशी का व्रत एक माह में दो बार आता है। शास्त्रों व पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति यह व्रत का रखता है। वह विघ्न-बाधाओं से दूर रहता है। और उसके जीवन मे सदैव खुशहाली रहती है। इस के व्रत में हम सभी भक्तजन भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। इस दिन किसी भी प्रकार का कोई मांसाहारी भोजन नहीं करना करना चाहिए और ना ही चावल खाने चाहिए। मान्यता है कि एकादशी के अगले दिन अर्थात द्वादशी को एकादशी का व्रत चावल खाकर ही खोलना चाहिए।
एकादशी का व्रत
हमारे वेदों व शास्त्रों में इस व्रत का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि 'न विवेकसमो बन्धु: न एकदश्या: परं व्रतं' अर्थात अपने विवेक यानी बुद्धि से बड़ा कोई मित्र नहीं होता और एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं होता। कहा जाता है कि वर्ष में एकादशी के 8 व्रत इस प्रकार के होते हैं जिनमें गृहस्थ लोगों का व्रत रहना वर्जित है। यह व्रत श्रद्धालु अपने मन की शान्ति व अपने परिजनों के सौहार्द के लिए रखते हैं। इस दिन बच्चे, युवक व वृद्ध सभी लोग उपवास रख सकते हैं।
महत्व
एकादशी के व्रत का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इस व्रत को रखकर श्रद्धालु भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। और कठोरता पूर्वक व्रत के नियमों का पालन करते हैं। व्रत के दौरान किसी प्रकार के अन्न का सेवन करना वर्जित माना गया है। कुछ श्रद्धालु यह व्रत बिना पानी पिए, कुछ लोग पानी पीकर तथा कुछ लोग सिर्फ़ फलों का सेवन करके व्रत सम्पन्न करते हैं। तथा कुछ लोग एक समय सात्विक भोजन करके भी व्रत रखते हैं। जिससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते है और सभी श्रद्धालुओं पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं।
आप सभी श्रद्धालुओं से निवेदन है कि एकादशी का व्रत आप सब भी रखें।
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