आखिर क्यों होता है मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ
हिंदू धर्म में शास्त्रों के अनुसार किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद अगले 13 दिन तक उस व्यक्ति के घर में गरुड़ पुराण का पाठ रखा जाता है. शास्त्रों के अनुसार किसी व्यक्ति की आत्मा तत्काल ही दूसरा जन्म धारण कर लेती है, किसी को 3 दिन लगते हैं तो किसी को 10 से 13 दिन तक लगते हैं. वहीं यदि किसी व्यक्ति की स्मृति पक्की और गहरी हो या कोई अकाल मृत्यु मरा हो तो उस व्यक्ति को सवा माह का समय भी लग सकता है. किंतु कुछ परिस्थितियों में ऐसा भी होता है कि कुछ आत्माएं इस भूलोक पर ही भटकती रहती हैं उन्हें कोई मार्ग नजर नहीं आता है. ऐसे में मृत्यु के 3 वर्ष बाद गया जाकर उस मृत व्यक्ति का अंतिम तर्पण किया जाता है. आइए आज आपको बताते हैं, कि क्यों पड़ी जाती है गरुड़ पुराण किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद.
गरुड़ पुराण का महत्व
गरुड़ पुराण में गरुण देव ने भगवान विष्णु से प्राणियों की मृत्यु, यमलोक की यात्रा, नर्क योनियों तथा सद्गति के बारे में अनेक गुण और रहस्यमय प्रश्न पूछे थे. इन्हीं प्रश्नों का सविस्तार जवाब भगवान विष्णु ने इस पुराण के अंदर दिया है इसीलिए इस प्रश्नों की श्रंखला को हम गरुण पुराण कहते हैं.
इस पुराण में मृत्यु से पहले और मृत्यु के बाद की स्थिति को दर्शाया गया है. इसीलिए किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात इस पुराण को सुनाया जाता है. कई बार मृत्यु के पश्चात अगले 13 दिन तक मृतक व्यक्ति की आत्मा अपने परिजनों के करीब ही रहती है. ऐसा माना जाता है कि इसके पाठ से उस आत्मा को स्वर्ग नरक, सद्गति, दुर्गति, अधोगति आदि की जानकारी प्राप्त होती है.
आगे की यात्रा में उसे किन किन बातों का सामना करना पड़ेगा, कौन से लोक में उसका गमन हो सकता है यह सभी बातें को वह यह पुराण सुनकर जान लेता है. किसी भी व्यक्ति को यह पुराण सत्कर्मों के लिए प्रेरित करता है, सत्कर्म और सुमति से ही सद्गति और मुक्ति की प्राप्ति होती है.
इस पुराण में व्यक्ति के कर्मों के आधार पर दंड स्वरूप मिलने वाले विभिन्न नारको के बारे में बताया गया है. गरुड़ पुराण के अनुसार कौन सी चीज़ें व्यक्ति को सद्गति की ओर ले जाती है इस बात का उत्तर भगवान विष्णु ने उसमें दिया है.
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