भारत के इस प्राचीन मंदिर में क्यों रोते हैं काल भैरव?
भारत में ऐसे बहुत से प्राचीन मंदिर हैं. जहां से आये-दिन किसी ना किसी प्रकार की अजीबोगरीब घटना सामने आती रहती है. ऐसा ही एक मंदिर है कांगड़ा में जहां बज्रेश्वरी देवी मंदिर में काल भैरव की प्रतिमा के रोने के प्रमाण मिले हैं. वैसे तो भारत या पूरे विश्व में स्थित सभी मन्दिर या पौराणिक स्थान अपने में कुछ रहस्य समेटे हुए होते हैं. जैसे गणमुक्तेश्वर में स्थित गङ्गा मां का प्राचीन मंदिर या फिर बक्सर में स्थित मां त्रिपुर सुंदरी मन्दिर हो. लेकिन आज हम आपके साथ निम्न मंदिरों का जो रहस्य साझा करने जा रहे हैं उसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे.
काल भैरव क्यों रोते हैं
कांगड़ा, जहां के बज्रेश्वरी देवी मंदिर में महाराज काल भैरव की एक अनोखी प्रतिमा स्थापित है. जो कि लगभग 5 हज़ार वर्ष से अधिक पुरानी बताई जा रही है. मान्यता है कि जब भी मन्दिर परिसर के आस पास के क्षेत्रों में कोई विपत्ति आने वाली होती है. तो उसके पूर्व ही बाबा भैरव की आंखों से आंसू निकलने लगते हैं. जब हमने वहां के पुजारियों से बात की तो उन्होंने भी यही बताया उनका कहना था कि बाबा भैरव को विपत्ति के बारे में पहले ही पता चल जाता है. और वह हम लोगों को विपत्ति का संकेत देने व सचेत करने के लिए अपनी आंखों से अश्रु धार वहा देते हैं. वैज्ञानिकों द्वारा भी इस विषय पर काफ़ी खोज की गई कि आख़िर पत्थर की प्रतिमा से आंसू निकलते कैसे है. किन्तु कोई भी इस रहस्य का पता नही लगा पाया.
गणमुक्तेश्वर का गङ्गा प्राचीन मंदिर
इस मंदिर का रहस्य भी आज तक कोई वैज्ञानिक या पुरातत्ववेत्ता नहीं समझ पाए हैं. गणमुक्तेश्वर के इस गङ्गा मन्दिर में एक शिवलिंग स्थापित है. जिसमें से हर साल एक अंकुर उभरता है और उसके फूटने पर उसमें से शिव जी व अन्य देवी-देवताओं की आकृति निकलती हैं. ऐसा क्यों होता है इसकी वजह आज तक कोई भी समझ नहीं सका. बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने खोज करनी चाही किन्तु नाकाम रहे.
बक्सर का मां त्रिपुर सुंदरी प्राचीन मंदिर
बिहार राज्य के बक्सर नामक स्थान में स्थित मां त्रिपुर सुंदरी मन्दिर का लगभग 400 वर्ष पूर्व निर्माण हुआ था. बताया जाता है कि भवानी मिश्र नाम के एक बहुत बड़े ज्ञानी तांत्रिक ने इस मंदिर की स्थापना की थी. इस मंदिर में प्रवेश करते ही एक अजीब सी ऊर्जा संचरित हो उठती है. लोगों का बताना है कि शाम होते ही इस मंदिर से आवाज़े आना शुरू हो जाती हैं. अनुमान है कि यह आवाज़े देवी की प्रतिमायें जब आपस में वार्तालाप करती हैं उससे उत्त्पन्न होती है. कई पुरातत्व विज्ञानियों ने इसकी खोज करनी चाही किन्तु वह नाकाम रहे पता लगाने में कि यह आवाज़े आख़िर आती कहां से हैं.
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