किसी भी शुभ कार्य से पहले क्यों होती है भगवान गणेश की पूजा?

 
किसी भी शुभ कार्य से पहले क्यों होती है भगवान गणेश की पूजा?

हिंदू धर्म में ऐसा कोई भी कार्य नहीं, जो भगवान गणेश के पूजन के बिना प्रारंभ किया जाता हो. शादी- विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों के साथ ही श्री गणेश कहकर कई लोग कारोबार, दुकान आदि का कार्य प्रारंभ करते हैं. इनकी पूजा सर्वप्रथम करने से किसी भी कार्य में बाधा नहीं आती है. वह कार्य बिना रुकावट के संपूर्ण हो जाता है. इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है.

भगवान गणेश

सर्वप्रथम पूजनीय श्री गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं. उनका वाहन मूषक (चूहा) है. गणो के स्वामी होने के कारण इनका नाम गणपति पड़ा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन्हें केतु का देवता माना जाता है. हाथी जैसा सिर होने के कारण इन्हें गजानन भी कहा जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार इनका नाम आदिपूज्य है क्योंकि किसी भी कार्य को करने से पहले गणपति सर्वप्रथम पूजे जाते हैं. गणेश भगवान के अनेक नाम है लेकिन 12 नाम जो अधिक प्रचलित है- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-विनाशक, विनायक धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन.

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सर्वप्रथम पूजनीय देवता की कहानी

सर्वप्रथम गणेश पूजन करके उनकी कृपा प्राप्त करने की पौराणिक कथा इस प्रकार है- एक बार सभी देवताओं ने विचार किया कि धरती पर किस देवता की पूजा सर्वप्रथम की जाए. इस बात पर समस्त देवताओं में विवाद उत्पन्न हो गया. सभी देवता स्वयं को ही श्रेष्ठ बताने लगे. तभी इस विवाद को देखते हुए नारद जी ने सभी देवगणों को भगवान शिव की शरण में उपस्थित होने की सलाह दी.

जब सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे, तो उनके मध्य लड़ाई झगड़ा देखते हुए भगवान शिव ने इस समस्या को सुलझाने के लिए एक योजना बनायी. इस योजना में शिवजी ने एक प्रतियोगिता आयोजित की. और सभी देवगणों से कहा कि वे अपने-अपने वाहनों पर बैठकर पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगा कर आए. जो इस पूरे ब्रह्मांड का चक्कर सर्वप्रथम लगा देगा. वही सर्वप्रथम पूजनीय माना जायेगा.

सभी देवता इस प्रतियोगिता के अनुसार अपने अपने कार्य पर लग गए लेकिन गणेश जी सभी देवताओं की तरह ब्रह्मांड की चक्कर लगाने की वजह अपने माता पिता शिव पार्वती की परिक्रमा करने लगे. गणेश जी ने अपने माता पिता की 7 परिक्रमा पूर्ण करने के बाद उन्हीं के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए. सभी देवता जब परिक्रमा करके शिवजी के पास लौटे तो इस प्रतियोगिता का विजेता गणेश भगवान को घोषित किया गया.

सभी देवगढ़ आश्चर्यचकित रह गए और और गणेश भगवान के विजेता होने का कारण पूछा, तभी शिव जी ने कहा कि संपूर्ण ब्रह्मांड में माता-पिता का उच्च स्थान है. जो सभी देवताओं एवं समस्त सृष्टि में उच्च माने जाते हैं. यह बात सुनकर सभी देवता शिव जी की बात से सहमत हुए. और तभी से श्री गणेश भगवान का पूजन सर्वप्रथम किया जाने लगा.

भगवान गणेश जी का पूजन सभी दुखों को हरने वाला और खुशहाली प्रदान करने वाला है. अतः सभी श्रद्धालुओं को गणेश पूजन श्रद्धा भाव के साथ और किसी शुभ कार्य को करने से पहले करना चाहिए.

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