हस्तरेखा में छिपा है आपका भविष्य... जानिए रहस्य

 
हस्तरेखा में छिपा है आपका भविष्य... जानिए रहस्य

शास्त्र के अनुसार हाथों की रेखाएं लोगों की ज़िंदगी से जुड़े बहुत से राज़ बताती हैं. हाथों की रेखाओं से ना केवल व्यक्ति व्यवहार का पता चलता है बल्कि व्यक्ति के भविष्य से जुड़े सभी अच्छे और बुरे हालातों को बता देती है. हस्त रेखाएं बाल अवस्था से बनना शुरू होती हैं और युवावस्था में पूर्ण हो पाती हैं. हस्तरेखा शास्त्र में व्यक्ति हाथ की हथेली को पढ़कर चरित्र और भविष्य के बारे में बताता है. हस्तरेखा विभिन्न प्रकार की होती है जैसे दिल की रेखा, जीवन रेखा आदि. कुछ लोग हाथों की रेखाएं पढ़ने के साथ ही उंगलियों, नाखूनों, चेहरा, रंग, आकार, व हाथों के लचीलापन को भी देखते हैं.

हस्तरेखा

हस्तरेखा शास्त्र में हथेली को देखकर या पढ़कर लक्षणों का वर्णन और साथ ही भविष्य के बारे में बताने की कला है. यही कला हस्तरेखा अध्ययन या हस्तरेखा शास्त्र कहलाती है. जो हस्तरेखा को पढ़ते हैं उन्हें हस्त रेखा शास्त्री कहा जाता है. आमतौर पर हाथ को पढ़ने वाले व्यक्ति को ज्योतिष भी कहते हैं.

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दाएं हाथ व बाएं हाथ की हस्तरेखा का महत्व

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि महिलाओं का बायां हाथ व पुरुषों का दायां हाथ देखना चाहिए. वास्तव में देखा जाए तो दाहिने हाथ से भविष्य का और बाएं हाथ से अतीत का पता चलता है. बाएं हाथ की हथेली की रेखाएं उम्र भर एक जैसी होती हैं और दाएं हाथ की हथेली की रेखा कर्म के अनुसार बदलती रहती हैं. इसीलिए दोनों हाथों को ध्यान पूर्वक देखना चाहिए.
आइए जानते हैं कैसे बताती है हाथों की रेखाएं भविष्य. जीवन रेखा, हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा यह हाथ की प्रमुख रेखाएं मानी जाती हैं.

हृदय रेखा

हथेली के मध्य भाग से लेकर दूसरे भाग तक लेटी हुई रेखा हृदय रेखा कहलाती है. यह रेखा सीधी जाती है तो व्यक्ति साफ दिल होता है. लहराती हुई जाती है तो वह हृदय रोग से पीड़ित रहता है.

भाग्य रेखा

हृदय रेखा के मध्य से शुरू होकर मणिबंध तक जाने वाली सीधी रेखा भाग्य रेखा कहलाती है. स्पष्ट दिखने वाली रेखा उत्तम भाग्य का प्रतीक होती है. यदि भाग्य रेखा को कोई अन्य रेखा ना काटती हो तो भविष्य में कोई कैसी भी रुकावट नहीं आती है. कुछ लोगों के हाथ में जीवन और भाग्य रेखा में से एक ही रेखा होती है तो वह व्यक्ति भाग्यहीन या फिर उच्च स्तरीय भाग्यशाली कहलाता है.

जीवन रेखा

यह रेखा हृदय के ऊपरी भाग से होकर मणिबंध पर जाकर समाप्त होती है और भाग्य रेखा के समांतर चलती है. जीवन रेखा कहलाती है. यदि जीवन रेखा को कोई अन्य रेखा ना काटती हो, तो वह रेखा उत्तम मानी जाती है. जीवन रेखा लंबी होने पर व्यक्ति की आयु लंबी होती है और अधिकतर जीवन सुख पूर्वक प्रतीत है. यदि रेखा छोटी और कटी हुई होती है तो व्यक्ति की आयु कम और जीवन संघर्ष पूर्ण बीतता है.

मस्तिष्क रेखा

हथेली के एक छोर से दूसरे छोर तक, हृदय रेखा के समांतर जाने वाली रेखा मस्तिष्क रेखा कहलाती है. यदि हृदय और मस्तिष्क रेखा आपस में मिल जाए तो उत्तम माना जाता है.

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