संक्रमित सतह को छूने से कोविड (Covid-19) के जद में आने का खतरा बेहद कम : शोध
अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी द्वारा किए एक शोध में पाया गया कि संक्रमित सतह को छूने से कोरोना की जद में आने का खतरा बेहद कम होता है. रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने भी अपने संशोधित दिशा-निर्देशों में संक्रमित सतह के संपर्क में आने पर सार्स-कोव-2 वायरस का शिकार होने की आशंका 0.001 फीसदी बताई है.
सतहों की लगातार सफाई होना और समय-समय पर सेनेटाइजर का छिड़काव इसकी मुख्य वजह है. हालांकि, इसका यह कतई मतलब नहीं है कि हम सतहों से संक्रमण के जोखिम को लेकर बेफिक्र हो जाएं.
हवा से खतरा ज्यादा
शोधकर्ताओं के मुताबिक कोरोना संक्रमित अगर बंद, कम हवादार या भीड़भाड़ वाली जगहों पर ज्यादा समय गुजारें तो उनके नाक-मुंह से निकलने वाली पानी की सूक्ष्म बूंदें हवा के रास्ते अन्य लोगों को भी वायरस की गिरफ्त में ले सकती हैं.
ऐसी जगहों पर सतहों की सफाई और हाथों पर बार-बार सेनेटाइजर लगाना भी वायरस से बचाव में कुछ खास कारगर नहीं साबित होता.
संक्रमित का छींकना-खांसना
शोध दल में शामिल इमैनुअल गोल्डमैन ने कहा, ‘यह वायरस सांसों के रास्ते फैलता है, न कि छूने से। सतहों से संक्रमण के प्रसार का वैज्ञानिक आधार बेहद कम मिला है।’ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी कहा कि वायरस नाक-मुंह से निकलने वाली पानी की सूक्ष्म बूंदों से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकली पानी की बूंदें आसपास मौजूद सतहों पर वायरस के अंश छोड़ सकती हैं
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि जो वस्तुएं किसी और जगह से आयात होकर आ रही हैं, उन पर कोरोना वायरस के अंश होने का जोखिम न के बराबर होता है. दरअसल, ये वस्तुएं आयात प्रक्रिया में लंबी दूरी तय करती हैं. इस दौरान वे अलग-अलग मौसम से होकर गुजरती हैं.
यही नहीं, आयात की जाने वाली ज्यादातर वस्तुओं को विशेष तापमान पर भी रखा जाता है. ऐसे में उनसे संक्रमण के प्रसार का डर बेहद कम रहता है.
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