धीमी हो रही है पृथ्वी की अपने धूरि पर घूमने की रफ्तार, क्या इंसानों का सर्वनाश निकट है!
धरती अपनी धुरी पर 1,670 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रही है। अगर धरती अपनी धुरी पर घूमना बंद कर दे तो क्या होगा, इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
- क्या धरती का विनाश निकट है?
- पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव तेजी से अपनी जगह बदल रहा है
- सन् 1900 के बाद से अधिक तीव्रता वाले भूकंपों के आकंड़े बढ़े
खगोल वैज्ञानिकों की रिसर्च के मुताबिक धरती पर खतरनाक संकट मंडरा रहा है। धरती की अपने धुरी पर घूमने की वास्तविक रफ्तार धीमी हो रही है, जिसकी वजह से चंद्रमा धरती से धीरे धीरे दूर होता जा रहा है।
नासा के वैज्ञानिकों ने चेतावनी ही कि इस भौगोलिक घटना की वजह से आने वाले समय में बड़े विनाशकारी भूकंप का सामना करना पड़ सकता है।
कुदरत की आपदाओं में भूकंप को बहुत विनाशकारी आपदा की श्रेणी में रखा गया है, यहाँ तक कि कुदरत की अन्य आपदाओं जैसे सुनामी, और भू स्खलन भी भूकंप की तीव्रता के वजह से ही आते हैं।
आपदाएं कितनी भीषण हो सकती हैं इसके बारे में अभी इंसानों को ठीक से पूरी जानकारी भी नहीं हैं।
2001 के गुजरात भूकंप में लगभग 20 हजार लोगों की जान चली गई थी, और 26 दिसंबर 2004 को 9.1 तीव्रता के भूकंप के बाद आई सुनामी ने तो पूरी दुनिया को हिला कर रखा दिया था, इस कुदरती आपदा में 2 लाख 30 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।
इस तरह की सभी घटनाएं धरती के घूमने की रफ्तार कम होने की वजह से हो रही हैं, वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती की घूर्णन गति धीमी होने के कारण से हाल फिलहाल में भूकंपीय घटनाएं बढ़ने लगी है।
रिसर्च की मानें तो सन् 1900 के बाद से रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक तीव्रता वाले भूकंपों की संख्या बढ़ गई है।
20वीं सदी के आखिरी पांच वर्षों में पृथ्वी की घूर्णन गति में कमी दर्ज की गई थी जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर भूकंप का प्रकोप देखने को मिला। वैज्ञानिकों ने इसके बाद हर साल 25 से 30 तेज भूकंप दर्ज किए जिसमें से 15 भूकंप बड़े और घातक माने गए।
North Pole (उत्तरी ध्रुव) अपनी जगह से खिसका
वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में माना है कि धरती पर दिशा की जानकारी देने वाला 'मैग्ननेटिक नॉर्थ पोल' अपनी लोकेशन बदल रहा है। बीते कुछ दशकों में पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव बहुत तेजी से खिसका है।
क्या पृथ्वी का विनाश हो जाएगा
लंदन के वैज्ञानिकों की रिसर्च के अनुसार यदि धरती इससे धीमे रफ्तार से घूमती है तो हवा की गति 1,670 किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाएगी। यह तूफानी हवा रास्ते में आने वाली हर चीज का विनाश करती चली जाएगी। लोग बुल्लेट की रफ्तार से एक दूसरे से टकराएंगे, इसके साथ ही पृथ्वी में चुंबकीय क्षेत्र समाप्त हो जाएगा। उस समय का वातावरण एक परमाणु विस्फोट के समान शक्तिशाली विस्फोट होगा, जिससे नाभिकीय व अन्य प्रकार के खतरनाक रेडिएशन फैलने लगेंगे। पृथ्वी का आकार पूरी तरह से गोल हो सकता है। समद्रों में खतरनाक लहरों की वजह से सुनामी आएगी इसके बाद पृथ्वी पर आधे साल दिन तो आधे साल रात होगी।
इतना सब कुछ होने के बाद धरती पर इंसानों की मौजूदगी ना के बराबर रह जाएगी । हालांकि, नासा के वैज्ञानिकों ने इस तर्क को मानने से इंकार किया है, नासा के अनुसार अभी पृथ्वी के पास कई करोड़ वर्ष हैं इसीलिए इस प्रकार के आपदा की नहीं है।
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