वैज्ञानिक बना रहे थे इंसानी दिमाग, एक्सपेरिमेंट के दौरान अचानक निकल आई दो आंखें

 
वैज्ञानिक  बना रहे थे इंसानी दिमाग, एक्सपेरिमेंट के दौरान अचानक निकल आई दो आंखें

धरती हो या आसमान, हर जगह इंसानों ने अपनी मौजूदगी दर्ज की है। अभी भी वैज्ञानिक लगातार नई खोज करने में अपना पूरा समय लगा रहे हैं। मेडिकल साइंस की बात करें तो 21वीं सदी में मृत शरीर को जिंदा करने के अलावा लगभग हर चीज संभव हो गई है। हालांकि इस दिशा में लगातार और नए रिसर्च सामने आ रहे हैं, हाल ही में वैज्ञानिकों ने इंसानी दिमाग तैयार करने की कोशिश की जिसे देखकर लगता है कि विज्ञान ने जितनी तरक्की कर ली है, उसके बारे में 100 साल पहले तक किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।

लैब में बनाया 'मिनी ब्रेन'

दुनियाभर के वैज्ञानिक ऐसी चीजों में लगे रहते हैं जिससे विज्ञान जगत में नई क्रांति लाई जा सके, लेकिन कभी-कभी एक्सपेरिमेंट का परिणाम कुछ और ही निकल कर सामने आ जाता है। ऐसा ही कुछ जर्मनी के वैज्ञानिकों के साथ उस समय हुआ जब वह मिनी ब्रेन उगाने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि वह काफी हद तक इस कोशिश में सफल भी रहे लेकिन अंत में जो चीज निकलकर सामने आई उसने सभी को हैरान कर दिया।

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बना रहे थे दिमाग, निकल आयी आंखें

वैज्ञानिक  बना रहे थे इंसानी दिमाग, एक्सपेरिमेंट के दौरान अचानक निकल आई दो आंखें
Image credit: pixabay

आप भी जानकर दंग रह जाएंगे कि जिस मिनी ब्रेन को वैज्ञानिकों ने तैयार किया उसमें आंखें भी उग आई थीं। जर्मनी के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल डुसेलडॉर्फ के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च की रिपोर्ट में बताया कि लैब में उनके द्वारा उगाए जा रहे मिनी ब्रेन में आंखें भी उगने लगी थीं। इस प्रयोग को वैज्ञानिक लैब की कटोरी में कर रहे थे, जिसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक शोधकर्ता इसे अपनी बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं और इससे आंखों की बीमारी पर शोध करने का फैसला लिया है।

आंखें उग आने से बदला रिसर्च का तरीका

यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल डुसेलडॉर्फ के न्यूरोसाइंटिस्ट जय गोपालकृष्णन का कहना है कि वैज्ञानिकों ने यह शोध इंसानी दिमाग में होने वाली बीमारियों के इलाज के रूप में शुरू किया था, हालांकि आंखें उग आने से अब रिसर्च को अब ब्रेन और आंखों की बीमारियों के इलाज में क्रांति लाने के लिए शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि लैब में मिनी ब्रेन उगाने के लिए वैज्ञानिकों ने एडल्ट इंसान के स्टेम सेल्स का उपयोग किया था।

लैब में तैयार किया गया दिमाग उगाने का माहौल

जय गोपालकृष्णन ने आगे कहा कि लैब में मिनी ब्रेन को तैयार करने के लिए सही टेम्पेरेचर और जरूरी माहौल का ध्यान रखा गया था। गोपालकृष्णन बताते हैं कि स्टेम सेल्स में कई तरह के टिश्यू उगाने की क्षमता होती है, इस बार वैज्ञानिक इसकी मदद से मिनी ब्रेन उगाने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि रिसर्च में तैयार हुए दिमाग में अब तक किसी भी प्रकार के इमोशंस और हरकत नहीं है, इसे उगाने में एक महीने का समय लगा है। उगी हुई आंखें साफ-साफ 50 दिनों में नजर आने लगी थीं।

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