पृथ्वी पर जल्दी आया करता था हिमयुग, जानें पूरी डिटेल्स

 
पृथ्वी पर जल्दी आया करता था हिमयुग, जानें पूरी डिटेल्स

पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन (Climate Change on Earth) का चक्र कई प्रकार से और कई बार बदलता है. फिलहाल दुनिया भरे ही इंसानों की गतिविधियों के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन से चिंतित हो रहा हो, लेकिन जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया का चक्र प्राकृतिक रूप से भी चलता रहता है. वैज्ञानिकों ने इसी कड़ी में देखा कि पृथ्वी पर हिमयुग (Ice Ages on Earth) के आने की घटना एक बार या कभी कभी नहीं बल्कि बार बार होती है. अभी तक हुए अध्ययनों ने हमारे वैज्ञानिक यह निष्कर्ष निकाल सके थे कि अंटार्कटिका में हिमयुग की आवृति (Ice Age Frequency) हर एक लाख साल में होती हैं., लेकिन नए अध्ययन ने इस धारणा को पूरी तरह से पलट दिया है.

क्या होता है हिमयुग

हिमयुग पृथ्वी के इतिहास के उन अवधिकालों को माना जाता है जब पृथ्वी की जलवायु में तापमान ज्यादा ठंडे रहते हैं जिसमें पृथ्वी का अधिकांश हिस्सा ग्लेशियर और बर्फ की चादरों से ढक जाता है. बार बार आने वाला हिमयुग पिछली बार प्लेइस्टोसीन युग में आया माना जाता है जो 26 लाख सालों तक कायम रहते हुए 11700 साल पहले खत्म हुआ था.

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हिमयुग की आवृत्ति

यह अप्रत्याशित खोज ओटोगा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अंटार्कटिका के अवसादी क्रोड़ के अध्ययन से की है जिनका पहले अध्ययन नहीं किया गया था. इस खोज ने हमारे वैज्ञानिकों की अंटार्कटिका में आने वाले हिमयुगों की आवृत्ति पहले के अनुमान से ज्यादा जल्दी हुआ करती थी. इस अध्ययन ने पहले की धारणा को पलटने काम किया है.

क्या है समयावधि में बदलाव

इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और जियोलॉजी विभाग के सदस्य के मुताबिक ऐसा लगता है कि हिमयुग पहले जितना माना जाता रहा था उससे कहीं जल्दी जल्दी आया करता था. इस शोध के पहले माना जात था कि पिछले दस लाख सालों में अंटार्कटिका की बर्फीली चादरों सहित वैश्विक बर्फ का आयतन हर एक लाख सालों में फैलता और सुकड़ता था. लेकिन नए शोध ने बताया है कि ऐसा कम से कम पिछले 4 लाख सालों तक हर 41 हजार सालों में ऐसा होता है.

अलग अध्ययन के नमूनों से पता चला

नेचर जियोसाइंसेस जर्नल में प्रकाशित शोध के नतीजे डॉ ओनेइजर ने अंटार्कटिका के रॉस सी के अवसादी क्रोड़ से लिए गए नमूनों के अध्ययन के बाद आए जो उन्होंने एक अलग ही प्रोजेक्ट के लिए थे. उस प्रोजेक्ट का मकसद यह पता लगाना था कि पिछला हिमयुग रॉस आइस शेल्फ से कब लौटा था.

2003 में ही हासिल कर लिए थे नमूने

6.2 मीटर क्रोड़ का यह नमूना साल 2003 में हासिल किया गया और उसे अमेरिका में रख दिया गया था लेकिन उसका आगे अध्ययन नहीं हुआ है. डॉ ओनेइजर उम्मीद कर रहे थे कि इसमें दस हजार साल की अवधि के रिकॉर्ड होंगे, लेकिन उन्होंने पाया कि ये रिकॉर्ड ज्यादा पुराने हैं और इसमें करीब दस लाख साल की अवधि के रिकॉर्ड हैं.

बहुत जरूरी है ये जानकारी

इन नमूनों के अवसादी और चुंबकीय खनिज संकेतकों ने उन्हें यह जानकारी दी कि रॉस आइस शेल्फ और पश्चिमी अंटार्कटिक बर्फ की चादर कितनी बड़ी थी. हिमयुग की आवृत्तियों के बारे में जो पहले जानकारी थी वह अपूर्ण डेटासेट के आधार पर हासिल की गई थी. लेकिन इनकी जानकारी आज के दौर के जलवायु परिवर्तन के लिहाज से बहुत अहम है.

पुरातन युगों की जलवायु का अध्ययन हमारे वैज्ञानिकों को यह समझाने मे मदद कर सकता है कि बर्फ की चादरें वायुमंडल के CO2 स्तरों के इजाफा पर कैसा बर्ताव करती हैं. किसी भी जलवायु परिवर्तन के प्रति बर्फ की चादरों की प्रतिक्रिया धीमी होती है. पुरातन बर्फ की चादरों की जानकारी हमें बता सकेगी कि अलग अलग जलवायु हालात में कैसे बर्फ की चादरें फैलती और सिकुड़ती थीं और सबसे अहम बात यह पता लगाने में मदद करेगी.

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