पहली बार प्लास्टिक के कचरे से बनाया गया वनीला फ्लेवर

 
पहली बार प्लास्टिक के कचरे से बनाया गया वनीला फ्लेवर

गर्मी का मौसम है ऐसे में हर किसी का वनीला फ्लेवर (Vanilla Flavor) फेवरेट रहा होगा लेकिन इस बीच वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक की वेस्ट बोतलों से वनिला फ्लेवर बनाने का एक नया तरीका खोजा है जिसे जान हर कोई हैरान है.

इसे लेकर सभी के मन में कई तरह के सवाल है जैस- क्या इसे खाया जा सकता है, इसे खाने से कौन से फायदे हो सकते हैं, ये नुकसानदायक तो नही है. दर्सल इस फ्लेवर का उपयोग फूड प्रोडक्‍ट्स के साथ-साथ कॉस्‍मेटिक्‍स में भी बड़े पैमाने पर होता है यानी ये संभावना है कि भविष्य में हम प्‍लास्टिक कचरे से बनी वनिला आइसक्रीम खाएं.

बता दें कि वैज्ञानिकों ने प्‍लास्टिक बोतलों को वनिला फ्लेवर में बदलने के लिए जेनेटिकली इंजीनियर्ड बैक्‍टीरिया की मदद ली है. यह पहला मौका है जब प्लास्टिक की बोतलों से एक महंगा केमिकल बनाया गया है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसे आकर्षक चीजों में बदलने के तरीके प्‍लास्टिक बोतलों की रीसाइकलिंग प्रक्रिया को बढ़ावा देंगे. इससे दुनिया में बढ़ रहे प्‍लास्टिक कचरे से निपटने में मदद मिलेगी.

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फिलहाल प्‍लास्टिक बोतलों का मटेरियल एक बार उपयोग होने के बाद अपनी 95 फीसदी कीमत खो देता है. ऐसे में महंगे केमिकल बनने से इस मटैरियल की ज्‍यादा कीमत पाई जा सकेगी.

रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानकों ने पहले बोतलों के पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट पॉलिमर से बनी प्‍लास्टिक बोतलों से म्‍यूटेंट एंजाइम बना लिए थे. इस प्‍लास्टिक को टेरेफ्थेलिक एसिड (TA) भी कहते हैं.

अब वैज्ञानिकों ने इसे वैनिलिन में बदलने के लिए बग का इस्‍तेमाल किया है. वैनिलिन कंपाउंड की खुशबू वनिला की तरह है और यह वैसा ही स्‍वाद देता है. दुनिया भर में इस फ्लेवर की बड़ी मांग है.

2018 की बात करें तो दुनिया में 37,000 टन वनिला फ्लेवर की मांग थी, जो कि प्राकृतिक वनिला बीन्स की पैदावार से काफी ज्‍यादा है.

हालांकि ग्रीन केमिस्ट्री जर्नल में प्रकाशित किए गए रिसर्च पेपर के मुताबिक टीए को वैनिलिन में बदलने के लिए इंजीनियर्ड ई कोलाई बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया गया है. इसने 79 फीसदी टीए को वैनिलिन में बदल दिया जो कि बहुत ही अच्‍छा रिजल्‍ट है.

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