Hinglaj Devi Temple: पाकिस्तान का वो रहस्यमय मंदिर, जहां हिंदू और मुस्लिम मिलकर करते हैं पूजा

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित Hinglaj Mata Temple एक ऐसा स्थान है, जहां धर्म और जाति से परे जाकर आस्था जुड़ती है। यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि मानवता, श्रद्धा और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक प्रमुख शक्तिपीठ है, तो वहीं मुस्लिम समुदाय भी इसे पूरी श्रद्धा के साथ “नानी का मंदिर” कहकर पूजता है।
Hinglaj Devi Temple of Pakistan: शक्ति, इतिहास और समर्पण का संगम
Hinglaj Devi Temple of Pakistan बलूचिस्तान के हिंगोल नेशनल पार्क में मकरान तट के पास स्थित है। कहा जाता है कि यहां देवी सती का सिर गिरा था, इसलिए इसे 51 शक्तिपीठों में एक माना जाता है। हिंगलाज माता को स्थानीय लोग "नानी मां" कहकर पुकारते हैं। खास बात ये है कि यहां मुस्लिम श्रद्धालु भी परिक्रमा करते हैं, मन्नत मांगते हैं और चादर चढ़ाते हैं, जैसे वे दरगाहों पर करते हैं।
Hinglaj Mata Temple की यात्रा: अप्रैल में होती है आस्था की परीक्षा
हर साल अप्रैल में यहां एक विशाल तीर्थयात्रा होती है, जिसे Hinglaj Mata Temple Yatra कहा जाता है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस कठिन रास्ते को पार कर मंदिर पहुंचते हैं। रास्ता भले ही कठिन हो, लेकिन श्रद्धा अटूट रहती है। सबसे खास बात यह है कि इस यात्रा की व्यवस्थाओं में मुस्लिम समुदाय सक्रिय भागीदारी करता है। वे यात्रियों को पानी, खाना और ठहरने की सुविधा देते हैं।
Hinglaj Mata Mandir सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह धर्मों की दीवारों को तोड़ने वाली आस्था का केंद्र है। स्थानीय मुस्लिमों का मानना है कि "नानी मां" सबकी रक्षा करती हैं। यही कारण है कि वे भी मंदिर की सफाई, देखरेख और व्यवस्थाओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यह मंदिर पाकिस्तान में शांति और भाईचारे का प्रतीक बन चुका है।
Hinglaj Temple History सिंधु घाटी सभ्यता से भी जुड़ा हुआ माना जाता है। इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर की स्थापना हजारों साल पहले हुई थी और यहां देवी की पूजा की परंपरा बहुत पुरानी है। यह स्थान हिंदू धर्म, लोक परंपराओं और संस्कृति का संगम है, जिसे आज भी बहुत श्रद्धा और आदर के साथ जिया जाता है।