Archana Devi ने कच्‍ची झोंपडी से निकलकर जीता विश्व कप, जानें गरीबी को मात देती हुई उनकी ये दिल झकझोर देने वाली कहानी

 
Archana Devi ने कच्‍ची झोंपडी से निकलकर जीता विश्व कप, जानें गरीबी को मात देती हुई उनकी ये दिल झकझोर देने वाली कहानी

Archana Devi: भारतीय महिला टीम ने अंडर 19 वर्ल्ड कप जीतकर अपने नाम का ढ़का बजा दिया है. ऐसे में भारत की खिलाड़ी अर्चना देवी निषाद (Archana Devi) काफी ज्यादा सुर्खियों में बनी हुईं हैं. अर्चना ने इस वर्ल्ड कप में शानदार खेल का प्रदर्शन किया. उन्होंने फाइनल मैच में इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो 2 विकेट लेकर तहलका मचा दिया. इसके बाद अर्चना ने एक हैरतअंगेज कैच पकड़कर भारतीय फैंस का दिल जीत लिया.

अर्चना के धमाकेद खेल के दम पर भारत की टीम ने इंग्लैडं की टीम को 7 विकेट से धूल चटाकर ट्रॉफी अपने नाम की. ऐसे में ये कहना कोई बड़ी बात नहीं होगी कि अर्चना देवी जल्दी ही भारत की महिल टीम के लिए खेलती हुई नजर आ सकती हैं. तो आइए आज हम आपको अर्चना की जिंदगी से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में बताते हैं.

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कहां की रहने वाली हैं अर्चना

अर्चना का जन्म राजधानी लखनऊ से करीब 100 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले के बांगरमऊ तहसील क्षेत्र के गंगा कटरी के गांव रतई पुरवा में हुआ था. ये कानपुर से 30 किलोमीटर दूर पड़ता है. ऐसे में उनके क्रिकेट के सफल में दूरी काफी ज्यादा दिक्कत बनी. जिसके चलते उन्हें कोचिंग लेने में भी काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

संघर्ष में बिता अर्चना का बचपन

अर्चना जब 4 साल की थीं. तब उन्होंने कैंसर के कारण अपने पति को खो दिया था. 2007 में अर्चना ने पिता के बाद अपने भाई को भी खो दिया. उनके भाई की जहरीले सांप के काटने मौत हुई. ऐसे अर्चना की मां सावित्री देवी ने परिवार को बढ़ी मुश्किलों से संभाला था. उनके पास सिर्फ एक कच्चा कमरा था. जहां वो अपने बच्चों के साथ रहतीं थीं.

इंडियन एक्सप्रेस इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अर्चना की मां ने 1 एकड़ के खेत में काम किया और गुजारा करने के लिए दो गाय पालीं और उनका दूध बेच घर का खर्च चलाया. जिसके बाद पैसा होने पर उन्होंने अर्चना को घर से दूर छात्रावास में भेजा. ऐसे में उन्होंने लोगों के बहुत ताने सहे.

कैसे हुई क्रिकेट के सफर की शुरूआत

एनबीटी से बात करते हुए अर्चना के भाई रोहित ने बताया कि जब अर्चना छठी कक्षा में थी. तब उसको गंज मुरादाबाद स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में भर्ती किया था. जहां शिक्षिका पूनम गुप्ता ने उनकी खेल प्रतिभा को देखा और आठवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद पूनम अर्चना को लेकर कानपुर चली गईं. जिसके बाद पूनम ने अचर्ना को कोच कपिल पांडेय से मिलवाया. वहीं से अर्चना के खेल की शुरूआत हुई.

कोच ने कैसे पहचानी अर्चना की प्रतिभा

कोच पांडेय ने कहा कि साल 2017 में अर्चना मेरे पास आई तो मैंने उससे गेंदबाजी कराई. जिसके बाद मुझे उसके अंदर छिपी प्रतिभा का पता चल गया. अर्चना के पास खेलने के लिए संसाधनों की कमी थी. इसके अलावा उसके पास कानपुर में रहने का कोई इंतजाम भी नहीं था. उसके घर से कोचिंग एकडेमी 30 किलोमीटर दूर थी.

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जिसके बाद कोच पांडेय और पूनम नें मिलकर कुछ अन्य लोगों के सहयोग लेते हुए अर्चना के कानपुर की जेके कालोनी में किराये पर रहने का व्यवस्था करवाई. यहीं पर अर्चना की मुलाकात कुलदीप यादव से हुई. कुलदीप ने अर्चना की क्रिकेट किट दिलाने से लेकर हर संभव मदद की. कुलदीप कानपुर में अर्चना के साथ प्रैक्टिस करते थे. शुरूआत में अर्चना मध्यम तेज गेंदबाज थी. जिसके बाद वो ऑफ स्पिनर बन गईं.

Archana Devi

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इसके बाद अर्चना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने अंडर 19 टीम में जगह बनाई और अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर टीम को विश्व चैंपियन बनाने में अहम योगदान दिया. अर्चना की सफलता के बाद उनका पूरा परिवार काफी ज्यादा खुश हैं.

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