Cricket Bat होता है कंप्यूटर जितना हाईटेक, किया जाता है इस खास डिवाइस का इस्तेमाल

 
Cricket Bat होता है कंप्यूटर जितना हाईटेक, किया जाता है इस खास डिवाइस का इस्तेमाल

जल्द ही T20 वर्ल्ड कप शुरू होने वाला है और सभी टीमें अपनी तैयारियों को पुख्ता करने में लगी हुई हैं। क्योंकि किसी भी मैच को जीतने के लिए जरूरी है कि टीम के सभी खिलाड़ी फिट हो फॉर्म में हो ताकि वो टीम के लिए योगदान दे सकें। लेकिन क्या आपको पता है कि मैच के लिए जितने जरूरी खिलाड़ी होते हैं उतने ही जरूरी उनके द्वारा प्रयोग किए जाने वाले इक्यूपमेंट (Cricket Bat) होते हैं।उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इक्यूपमेंट मैच की परफॉर्मेंस पर काफी असर डालते हैं.

उन्हीं इक्यूपमेंटस में से एक क्रिकेट टीम का बैट (Cricket Bat) देखने में काफी साधारण सा ही नजर आता है लेकिन असल में ये काफी ज्यादा हाईटेक होता है और इसमें एक खास तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जिसकी जरूरत क्रिकेट के दौरान पड़ती है.बता दें कि क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाले बैट के अंदर कई तरह के सेंसर इस्तेमाल किए जाते हैं जो खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस मेजर करते रहते हैं.

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Cricket Bat के अंदर इस्तेमाल होती है ये तकनीक

स्पीड सेंसर: इस सेंसर की मदद से यह जानकारी मिलती है कि आखिर बैट से बॉल कितनी स्पीड से टकराई है और क्रिकेटर ने कितनी स्पीड से बल्ला घुमा कर शॉट मारा है. यह जानकारी वाईफाई की मदद से एक कंप्यूटर तक पहुंचती रहती है और फिर यही जानकारी क्रिकेट मैच देख रहे दर्शकों को टीवी पर दिखाई देती है.

Cricket Bat होता है कंप्यूटर जितना हाईटेक, किया जाता है इस खास डिवाइस का इस्तेमाल

माइक्रोफोन: आपको बता दें कि बैट के अंदर माइक्रोफोन भी लगाया जाता है. इसका काम ये होता है कि जब कभी बैट से बॉल टकराती है और किसी को नजर नहीं आता है तब इस माइक्रोफोन की मदद से ही यह पता लगाया जाता है कि आखिरकार बैट से बॉल टकराई है या नहीं. कई बार आउट हो जाने की स्थिति में ये तकनीक बेहद काम आती है.

Cricket Bat होता है कंप्यूटर जितना हाईटेक, किया जाता है इस खास डिवाइस का इस्तेमाल

क्यों पड़ती है इन तकनीकों की जरूरत

अगर बात करें कि आखिर इस तकनीक की जरूरत ही क्यों होती है तो बता दें कि मैच को पारदर्शी रखने के लिए साथ ही समय बर्बाद ना हो इसके लिए भी इन तकनीकों का सहारा लिया जाता है. इन तकनीकों की मदद से अंपायर को अपने फैसले लेने में दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता और इनकी मदद से मैच में चीटिंग भी नहीं होती है.बता दें कि इस तकनीक से लैस बैट की कीमत काफी ज्यादा होती है.

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