जानें क्यों कहा जाता है मिल्खा सिंह को 'फ्लाइंग सिख', कोविड से हुआ निधन
एथलेटिक्स की दुनिया में अपना दमखम दिखाने वाला भारत का करिश्मायी सितारा आज अनंत में विलीन हो गया. जी हां बतादें भारत के ‘उड़न सिख’ यानी फ्लाइंग सिख के नाम से विख्यात महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद शुक्रवार देर रात 11:30 बजे चंडीगढ़ में निधन हो गया. वे 91 साल के थे, चंडीगढ़ के PGIMER में उनका 15 दिनों से इलाज चल रहा था. उन्हें 3 जून को ऑक्सीजन लेवल गिरने के कारण ICU में भर्ती कराया गया था. 20 मई को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी.
बतादें इससे पहले मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल कौर का पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस के कारण निधन हो गया था. वे 85 साल की थीं. निर्मल भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान रह चुकी थीं. साथ ही वे पंजाब सरकार में स्पोर्ट्स डायरेक्टर (महिलाओं के लिए) के पद पर भी रही थीं. मिल्खा सिंह के परिवार की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि निर्मल कौर का निधन 13 जून को शाम 4.00 बजे हुआ.
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित गृहमंत्री अमित शाह ने मिल्खा को श्रद्धांजलि दी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने एक शानदार खिलाड़ी खो दिया. मिल्खा ने असंख्य भारतीयों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई थी. मिल्खा के व्यक्तित्व ने उन्हें लाखों लोगों का चहेता बना दिया. उनके निधन से दुखी हूं. गौरतलब है इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 जून को मिल्खा सिंह से फोन पर बातचीत की थी और उनसे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी.
मिल्खा सिंह ऐसे बने थे 'फ्लाइंग सिख'
पाकिस्तान में हुए एक इंटरनेशनल एथलीट में मिल्खा सिंह ने भाग लिया. उनका मुकाबला अब्दुल खालिक से हुआ. यहां मिल्खा ने अब्दुल को हराकर इतिहास रच दिया. इस जीत के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने उन्हें 'फ्लाइंग सिख' की उपाधि से नवाजा.
अब्दुल खालिक को हराने के बाद उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान मिल्खा सिंह से कहा था, 'आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो. इसलिए हम तुम्हे फ्लाइंग सिख के खिताब से नवाजते हैं'. इसके बाद से मिल्खा सिंह को पूरी दुनिया में 'फ्लाइंग सिख' के नाम से जाना जाने लगा.
पद्मश्री से सम्मानित है मिल्खा सिंह
1956 में मेलबर्न में आयोजित ओलिंपिक खेल में भाग लिया. वह कुछ खास नहीं कर पाए, लेकिन आगे की स्पर्धाओं के रास्ते खोल दिए. 1958 में कटक में आयोजित नेशनल गेम्स में 200 और 400 मीटर में कई रिकॉर्ड बनाए. इसी साल टोक्यो में आयोजित एशियाई खेलों में 200 मीटर, 400 मीटर की स्पर्धाओं और राष्ट्रमंडल में 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीते. उनकी सफलता को देखते हुए, भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया.
संघर्ष पर बन चुकी है फिल्म
महान धावक मिल्खा सिंह के जीवन पर ‘भाग मिल्खा भाग’ नाम से फिल्म भी बनी है. मिल्खा सिंह ने कभी भी हार नहीं मानी. फिल्म में उनका किरदार अभिनेता फ़रहान अख्तर ने निभाया था. हालांकि मिल्खा सिंह ने कहा था कि फिल्म में उनकी संघर्ष की कहानी उतनी नहीं दिखाई गई है जितनी कि उन्होंने झेली है.
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