आईपीएल 2021: दिल्ली कैपिटल्स और कप्तान ऋषभ पंत को जीत दिलाने के पीछे इस शख्स का हाथ है
क्रिकेट में अंतिम ओवर किस गेंदबाज को देना है।ऐसा फैसला अकेला कप्तान नहीं करता। इसमें कोच की भी भूमिका होती है जो कि ड्रिंक के दौरान बारहवें खिलाड़ी या Substitute फील्डर से समय-समय पर कप्तान को मैसेज भेजता रहता है कि उसे क्या करना है?
धोनी जैसे कप्तानों पर कोच का प्रभाव कम रहता है। क्योंकि 35 की उम्र क्रॉस करने के बाद एक खिलाड़ी खुद कोच जैसी समझ विकसित कर लेता है। जबकि पंत, अय्यर, राहुल, बाबर आजम जैसे कप्तान कोच के हाथ की कठपुतली होते हैं।
इसलिए रिषभ_पंत ने कल जो टॉम करेन को ओवर दिया था, उसमें पंत के साथ-साथ पोंटिंग की भी भूमिका थी।
कौन-सा बल्लेबाज किस क्रम पर बल्लेबाजी करने आ रहा है? यह फैसला भी अकेला कप्तान नहीं करता, इसमें कोच के पास ही वीटो पावर होती है। कप्तान की भूमिका सिर्फ फील्डिंग सैट करने और ओवर के बीच फैसले लेने तक सीमित होती है। जैसे ही ओवर खत्म होता है, कोच किसी न किसी माध्यम से आगे की रणनीति कप्तान तक भेज देता है। कप्तान की भूमिका सिर्फ कोच की रणनीति लागू करना होती है।
सफल कप्तान वही माना जाता है जो कोच की रणनीति को लागू करना और अपने खिलाड़ियों से उसे लागू करवाना जानता हो. धोनी इस काम में माहिर थे, इसलिए सफल हुए।
इसलिए पंत किसे गेंदबाजी दे रहे हैं या कोहली किसे बल्लेबाजी के लिए भेज रहे हैं? यह फैसला सिर्फ उनका नहीं होता। इसलिए दिल्ली का कप्तान पंत हो या अय्यर, उसके पीछे दिमाग पोंटिंग का होता है। तभी तो पोंटिंग के आने के बाद से दिल्ली दमदार हुई है।
इसलिए भावनाओं में बहकर कप्तानों को उन फैसलों के लिए गाली मत दिया करें, जो कि पूरी तरह से उनके हाथ में नहीं होते हैं। आम खेल प्रशंसक ऐसा करें तो समझ आता भी है, लेकिन जब खुद को खेल_पत्रकार बताने वाले लोग ऐसा लिखते हैं तो उनकी बुद्धिमता पर तरस आता है।
अंतिम बात कि कोच का महत्व समझना है तो 2011 विश्वकप जीत में गैरी कर्स्टन का योगदान, 90 के दशक में अफ्रीका के वर्चस्व में बॉब वूल्मर के योगदान पर शोध कीजिए। 2000 के दौर में ऑस्ट्रेलिया की सफलता में जॉर्ज बुकानन की भूमिका पर शोध कीजिए। भारतीय क्रिकेट में गांगुली की कप्तानी के बाद से जो जुझारूपन आया था। उसका श्रेय जॉन राइट को भी जाता है. ऐसा पूर्व खिलाड़ी भी स्वीकार चुके हैं।
अब आपको बताऊं कि हम 2011 के बाद से विश्वकप क्यों नहीं जीते, जबकि धोनी भी कप्तान थे?
उसका कारण है कि कोच की रणनीति को मैदान पर भली-भांति लागू करने वाला कप्तान धोनी तो भारत के पास था, लेकिन धोनी के लिए रणनीति तैयार करने वाला कोई कर्स्टन जैसा कोच नहीं