क्या भारतीय महिला क्रिकेट के आगे बढ़ने की राह में बीसीसीआई ही सबसे बड़ा रोड़ा है?

 
क्या भारतीय महिला क्रिकेट के आगे बढ़ने की राह में बीसीसीआई ही सबसे बड़ा रोड़ा है?

महिला क्रिकेट की कम लोकप्रियता के लिए हमेशा व्यूअरशिप यानी उसे कम देखे जाने को ज़िम्मेदार बताया जाता है। बहुत हद तक यह बात सच भी है। देश में कई लोग महिला क्रिकेट टीम के बारे में कुछ नहीं जानते हैं।

इसके बावजूद बीसीसीआई के द्वारा भारतीय महिला क्रिकेट टीम के पहली बार हो रहे डे-नाइट टेस्ट मैच उन दिनों में करवा रहे हैं जब देश में आईपीएल हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि बीसीसीआई में महिला क्रिकेट का विलय होने के बाद से टीम को न सिर्फ खेलने के कम मौके मिले, बल्कि उनके मैच भी ऐसे दिन हुए जब पुरुष टीम भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रही थी।

पहले भी देखा गया है कि जब समान दिन और समान वक्त पर भारतीय पुरुष और महिला क्रिकेट टीम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलती हैं तो प्रशंसकों की रुचि पुरुष क्रिकेट में ही रहती है। आज यानी 30 सितंबर से 3 अक्टूबर के बीच महिलाओं का डे-नाइट टेस्ट मैच रहेगा। भारतीय महिलाएं पहली बार डे-नाइट टेस्ट खेलेंगी. पिछले सात सालों में भारतीय महिलाओं का यह सिर्फ दूसरा टेस्ट मैच होगा। (इसी वर्ष 16-19 जून के बीच उन्होंने सात सालों बाद कोई टेस्ट खेला था।)

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विश्व टेस्ट चैंपियनशिप जैसे किसी भी बड़े क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले वाले दिन अगर कोई दूसरा क्रिकेट मैच खेला जा रहा हो तो उस मैच का रंग फीका पड़ना तय है। इसलिए बीसीसीआई को ऐसे टकराव से बचा जाना चाहिए।

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