कैसे रहे Rishabh Pant के पिछले पांच दिन, क्यों खुशी की चाह बनी दुख की वजह, जानें दिल छू लेने वाली ये बातें

 
कैसे रहे Rishabh Pant के पिछले पांच दिन, क्यों खुशी की चाह बनी दुख की वजह, जानें दिल छू लेने वाली ये बातें

Rishabh Pant: जहां एक ओर पूरी दुनियां नई साल के रंग में डूबी है. तो वहीं एक पारिवार ऐसा भी है. जो दुख के बादलों में घिरा हुआ है. जिसके घर का चिराग अस्पताल में दर्द से जूझ रहा है. जी हां हम बार कर रहे हैं. टीम इंडिया के विस्फोटक विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत  (Rishabh Pant) की.

25 को कहां थे पंत

ऋषभ पंत 25 दिसंबर को बागंलादेश के खिलाफ टेस्ट मैच खेल रहे थे. जहां पर पंत ने धमाकेदार पारी भी खेली थी. जिसके बाद पंत सीधा बांग्लेदश से दुबई गए थे. जहां वो महेंद्र सिंह धोनी के साथ क्रिसमस पार्टी मनाते हुए देखे गए. इसके बाद उनके परिवार को लगा कि उनका बेटा इस बार भी अपने परिवार के साथ नई साल नहीं मनाएगा.

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परिवार को देना चाहते थे सरप्राइज

ऐसे में पंत तो कुछ और ही सोच रहे थे. वो अपने मां-पिता को सरप्राइज देने के लिए एकदम तैयार थे. पंत दुबई से वापस आ गए और शुक्रवार की सुबह वो अपने परिवार के पास पहुंचे के लिए अकेले ही निकल पड़े. ऋषभ पंत ने दिल्ली से कार के जरिए उत्तराखंड का सफर तय करना शुरू कर दिया.

पंत का करियर नहीं चल रहा था ठीक

पंत का करियर पिछले काफी टाइम से ठीक नहीं चल रहा था. उनके बल्ले से वनडे और टी20 में रन नहीं निकल रहे थे. जिसके चलते वो आलोचना झेल रहे थे. पंत को बीसीसीआई ने वनडे और टी20 से हटाने का भी शायद फैसला कर लिया था. उन्हें सिर्फ टेस्ट क्रिकेट में ही मौका देने पर विचार किया जा रहा था. जिससे पंत काफी निराश और हताश थे.

जब वो उत्तराखंड में प्रवेश कर गए तब सुबह तड़के तकरीबन 5 बजे पंत का रोड़ एक्सीडेंट हो गया. जिसके बाद से ही वो अस्पताल में भर्ती हैं. ऐसे में नए साल के इस मौके पर उनके परिवार के उपर क्या बीत रही होगी ये तो वो ही जानते हैं. जिस बेटे के साथ माता-पिता न्यू ईयर को सेलिब्रेट करना चाह रहे थे. उसी बेटे के बारे में उन्हें अचानक इतनी बुरी खबर मिली. 

तो आइए जानते हैं कैसी रही पंत की लाइफ -

1. ऋषभ पंत 4 अक्टूबर 1997 में हरिद्वार में पैदा हुए, उनके पिता राजेन्द्र पंत का सपना था कि उनका बेटा एक दिन देश के लिए क्रिकेट खेले और इसके लिए उन्होंने एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया. बेटे को बेहतर क्रिकेट सुविधा देने के लिए वे रुड़की आए पर किसी ने उनसे कहा कि दिल्ली से बेहतर आसपास कुछ भी नहीं। 

जिस वजह से अक्सर ऋषभ रात 2 बजे की बस पकड़ कर कभी-कभी दिल्ली जाया करते थे, ताकि वह 8 बजे के अभ्यास सत्र के लिए राजधानी पहुंच सके. इस पूरे सफर के दौरान उनकी मां ने भी उनका अहम साथ दिया। 

कैसे रहे Rishabh Pant के पिछले पांच दिन, क्यों खुशी की चाह बनी दुख की वजह, जानें दिल छू लेने वाली ये बातें
Image credits: Rishabh Pant/Twitter

2. रोज़ 2 बजे उठकर दिल्ली आना नामुमकिन था, इसीलिए ऋषभ पंत दिल्ली आ गए जहां वह मशहूर सोनेट क्लब में खेलने पहुंचे. यहां उनकी मुलाकात तारक सिन्हा से हुई जो शिखर धवन सहित कई खिलाड़ियों के कोच रहे हैं.

दिल्ली क्रिकेट संघ में चल रही राजनीति को देखते हुए तारक सिन्हा ने ऋषभ पंत को राजस्थान जाने को कहा ताकि उन्हें वह खेलने के ज्यादा मौके मिल सके।  पंत राजस्थान गए और वहां वह अंडर-14 और अंडर-16 क्रिकेट खेलने में कामयाब भी हुए, लेकिन एक बाहरी होने के कारण उन्हें अकादमी से बाहर कर दिया गया। 

3. ऋषभ फिर दिल्ली आए जहां कामयाब होने की भूख उनमें और तेज़ हो गई थी, वह भारत के लिए 2016 में अंडर-19 विश्व कप के लिए चुने गए। नेपाल के खिलाफ उन्होंने 18 गेंदों पर अर्धशतक भी ठोका जो अभी भी अंडर-19 क्रिकेट का सबसे तेज़ अर्धशतक है।

अगले ही मैच में उन्होंने नामिबिया के खिलाफ़ भी  शतक जड़ दिया. इसी बीच IPL की नीलामी हुई और दिल्ली की टीम ने उन्हें 1.9 करोड़ की राशि में खरीदा। 

कैसे रहे Rishabh Pant के पिछले पांच दिन, क्यों खुशी की चाह बनी दुख की वजह, जानें दिल छू लेने वाली ये बातें
Image credits: Rishabh Pant/Twitter

4. 2016-17 के रणजी मुकाबलों के दौरान महाराष्ट्र के खिलाफ पंत  ने 308 रनों की हैरतंगेज़ पारी खेली, वसीम जाफ़र, अभिनव मुकुंद के बाद वे ऐसा करने वाले तीसरे युवा बल्लेबाज़ और सिर्फ़ दूसरे विकेट कीपर बने।  दिल्ली के लिए यह रमन लांबा के 1994 में बनाए गए 312 रनों के बाद दूसरी सबसे बड़ी पारी थी। 

कैसे रहे Rishabh Pant के पिछले पांच दिन, क्यों खुशी की चाह बनी दुख की वजह, जानें दिल छू लेने वाली ये बातें
Image credits: Rishabh Pant/Twitter

5. इसी सीजन में उन्होंने 48 गेंदों पर झारखंड के खिलाफ शतक बनाया जो रणजी इतिहास का सबसे तेज़ शतक है, इस दौरान उन्होंने पारी में 21 छक्के लगाए जो कि विश्व के किसी भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट मुकाबले में दूसरा सर्वाधिक आंकड़ा है।  न्यूज़ीलैंड के कॉलिन मॉनरो ऑकलैंड के लिए एक पारी में 23 छक्के मारने का विश्व रिकॉर्ड रखते हैं.

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