Sourav Ganguly:सचिन, द्रविड़, लक्ष्मण, कुंबले, जैसे स्टार खिलाड़ियों के बावजूद सौरव को ही क्यों चुना गया ?
आज आपको अपने आस- पास के लोगों के स्टेटस और स्टोरीज मे गांगुली के रिकॉर्ड और स्टैट्स आराम से जानने को मिल जाएंगे। आज हम बात करेंगे गांगुली के करियर की सबसे अहम पारी के बारे में। सोचिए कौन सी हो सकती है वो पारी, लॉर्ड्स 131 या 101 नाबाद हैमिल्टन, या पाकिस्तान के खिलाफ 239 या श्रीलंका के खिलाफ विश्व कप मे खेली हुई 183 रनों की पारी या फिर वह पारी जो उन्होंने अक्टूबर 2019 में शुरू की है और अभी तक जारी है। अभी की जिस पारी की हम बात कर रहे हैं, वह है उनके BCCI के प्रेसिडेंट बनने की पारी।
• आइये एक नज़र डालते हैं कि आखिर क्यो खास है यह पारी-
BCCI प्रेसिडेंट का पद हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा है, अगर देखा जाए तो अधिकांश समय कोई न कोई नेता ही BCCI का प्रेसिडेंट था। सुनील गावस्कर उन चंद क्रिकेटरो मे से है जिन्होंने BCCI का कार्यभार संभाला लेकिन बहुत ही कम समय के लिए। गांगुली एक ऐसे समय पर प्रेसिडेंट बने है, जब टीम को उनकी सबसे ज्यादा ज़रूरत है। टीम लगातार बड़े टूर्नामेंटो मे हारती जा रही, विदेशी सरजमीं पर टेस्ट सीरीज जीतना अभी भी टेढ़ी खीर है, (2019 मे ऑस्ट्रेलिया पर जीत को हटा दिया जाए तो), एक के बाद एक लगातार मैचों से खिलाड़ियों पर बढ़ता शारीरिक और मानसिक दबाव जैसी चुनौतियाँ टीम के सामने है।
• आखिर गांगुली ही क्यो..?
सचिन, द्रविड़, लक्ष्मण, कुंबले, जैसे स्टार खिलाड़ियों की भारत के पास कमी नही है। लेकिन इन सबके ऊपर सौरव को ही क्यों चुना गया ?
जवाब साफ है, सौरव की नेतृत्व करने की क्षमता। सौरव उन चंद लोगों में से हैं जो टीम के लिए कठिन कदम उठाने से नही कतराते। एक और वजह जो गांगुली के पक्ष मे जाती है, वह है उनका अनुभव, बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन का 2015 से 2019 तक अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने काफी सराहनीय काम किया है।
• दादा अब तक का सफर और चुनौतियाँ :
गांगुली के बेबाक स्वभाव का उदाहरण भारत का पहला डे नाइट टेस्ट था। भारत का 2019 मे अपना पहला डे नाइट टेस्ट खेलना एक बहुत ही आश्चर्यजनक बात थी। क्योंकि डे नाइट टेस्ट की शुरुआत 2015 में ही हो गयी थी। इसके अलावा गांगुली के आगे अभी कई मुश्किलें हैं, जैसे कोरोना के बीच भारत मे क्रिकेट को वापस लाना, IPL 2021 का आयोजन, T-20 वर्ल्ड कप मे टीम का प्रदर्शन और 2023 वर्ल्ड कप की तैयारियाँ।