कई बार खिलाडिय़ों को नस्लभेदी टिप्पणियों का कड़वा घूंट भी पीना पड़ता हैं, भारत पर किस टीम ने सबसे ज्यादा टिप्पणी की है?
क्रिकेट में मैदान में खेल के अलावा जुबानी लडाई भी अक्सर चलती रहती है। खिलाडी अक्सर एक-दूसरे के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग कर या उकसाकर प्रतिद्वंदिता को प्रभावित करने का कुत्सित प्रयास इस रुप में भी करते है।
स्लेजिंग क्रिकेट में अक्सर समय दर समय देखने मिलती है। कई बार खिलाडिय़ों को नस्लभेदी टिप्पणियों का कड़वा घूंट भी पीना पड़ता है। मकसद यही होता है की इससे खिलाडी की एकाग्रता भंग हो और वह अपना बेहतर प्रदर्शन ना दे सके। हांलाकि ऐसा भी होता है की इस स्लेजिंग, अभद्रता के कारण कई खिलाडी और अधिक आत्मविश्वास जुटाकर अपनी क्षमता से अधिक बेहतर प्रदर्शन कर जाते है, जो अभद्रता वाले खिलाड़ी या टीम के लिए "लेने के देने पड गए" का रुप सामने आता है।
भारतीय क्रिकेट टीम भी इस स्लेजिंग, अभद्रता, नस्लभेदी टिप्पणी और जुबानी जंग से बच नहीं पाई है और हमारे खिलाडी भी इसके बार-बार शिकार होते रहे है और यह अब भी जारी है। ऑस्ट्रेलिया में स्लेजिंग एक आम बात है। और भारतीय टीम जब भी ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर गई इससे दो-चार हुई। पहले भारत के खिलाड़ी इसका जवाब उतनी मुखरता से नहीं देते थे लेकिन अब हमारे खिलाड़ी इस स्लेजिंग का जवाब उसी भाषा म़े देते है।
अब तो वह जीत दर्ज कर मुंह तोड जवाब के रुप में दिया जाने लगा है। वैसे ऑस्ट्रेलियाई, इंग्लिश और अन्य देश की इस प्रवृत्ति में पहले से कमी आई है। क्योंकि अब इन देशों के खिलाडी भारत में आकर आइपीएल खेल कर लाखों- करोडों रु. समेट कर ले जाते है इसलिए इनके मुंह पर अलीगढ़ का ताला जड़ जाता है।
लेकिन फिर भी भद्र खेल खेलने वाले खिलाड़ी अपनी अभद्रता से बाज़ नहीं आते है और वाकये सामने आ ही जाते है। ऑस्ट्रेलिया की तरह इंग्लैंड भी एक ऐसी टीम है जिसके खिलाडी भारत के साथ जुबानी जंग से बाज़ नहीं आते है। यह अलग बात है की इंग्लैंड के खिलाडिय़ों ने भारत के साथ जब-जब ऐसी हरकत की है उन इंग्लिश खिलाडीयों को उसका मुंहतोड़ जवाब मिला है।