Sourav Ganguly: जब इंग्लैंड के फ्लिंटॉफ को उसी की भाषा में जवाब दिए थे दादा
बात है सन् 2002 की, इंग्लैंड टीम तीन टेस्ट और सात एकदीवसीय मैचों की श्रृंखला खेलने भारत आई। इस श्रृंखला के पाँच एकदीवसीय मैचों में परिणाम था 3-2 से भारत के पक्ष में। अंतिम एकदिवसीय मुंबई के वानखेडें में खेला गया। भारत को इंग्लैंड के बनाएँ 255 रन के जवाब में अंतिम ओवर में 11 रन जीतने के लिए चाहिए थे।
कुंबले और हेमंत बदानी खेल रहे थे। ओवर था एंड्रयू फ्लिंटॉफ के हाथ। इस ओवर में कुंबले रन आउट हो गए और बदानी को फ्लिंटॉफ ने तब बोल्ड कर दिया जब जीत भारत से पाँच रन दूर थी। फ्लिंटॉफ ने बदानी के बोल्ड होते ही खचाखच भरे़ वानखेडे में बिच मैदान पर ही अपनी टी शर्ट उतार दी। यह किसी के लिए भी हैरानी वाला वाकया था। ग्राउंड के किनारे बैठे कप्तान सौरव गांगुली वापस ड्रेसिंग रुम में चले गए।
यह बरदाश्त के बाहर था। फिर अवसर था उसी वर्ष इंग्लैंड में नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल का। इंग्लैंड, भारत की टीमें एक बार फिर आमने सामने थी। इंग्लैंड ने बनाया पहाड जैसा 325 का स्कोर। दादा ने 60 रन और वीरु ने 45 रन कि अच्छी इनिंग्स खेली। उसके बाद युवराज और कैफ ने जो बल्लेबाजी की वो अब इतिहास है।
सौरव गांगुली उस वक्त लॉर्डस की उस प्रसिद्ध गैलरी में बैठे थे जहां कभी कपिल देव विश्व कप ट्रॉफी उठा चूके थे। जब जीत के लिए 58 रन चाहिए थे तब युवराज आउट हो गए लेकिन मो. कैफ पहले हरभजन और फिर जहिर खान के साथ मैच अंतिम ओवर तक ले गए।
अंतिम ओवर में भारत को जीत के लिए सिर्फ 2 रन चाहिए थे और जब जहिर ने ये दो रन लिए तब लॉर्ड्स की उस गैलरी में बैठे गांगुली ने अपनी टी शर्ट उतारकर हवा में लहरा दी। भारत नेट वेस्ट ट्रॉफी जीत चूका था। दरअसल यह फ्लिंटॉफ की उस अभद्रता का जवाब था जो उन्होंने वानखेडें में किया था।