मिल्खा सिंह के निधन से शोक में डुबा सम्पूर्ण खेल जगत,ट्वीटर के जरिये दिग्गजों ने अर्पित की श्रंद्धाजलि
फर्राटा धावक मिल्खा सिंह शुक्रवार रात जिंदगी की रेस हार गए और 91 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.महान हस्ति को यूँ अचानक से चले जाना प्रत्येक भारतीय के लिये किसी सदमे से कम नही है.
उनके परिवार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मिल्खा सिंह ने रात 11.30 पर आखिरी सांस ली.
और देर रात आई इस खबर के बाद पूरा खेल जगत शोक में है और सोशल मीडिया के जरिए हर किसी ने मिल्खा सिंह को श्रद्धांजलि दी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रंद्धाजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के महान धावक मिल्खा सिंह के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि भारत ने ऐसा महान खिलाड़ी खो दिया, जिनके जीवन से उदीयमान खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलती रहेगी.
मोदी ने ट्वीट किया, ‘मिल्खा सिंह जी के निधन से हमने एक महान खिलाड़ी को खो दिया, जिनका असंख्य भारतीयों के ह्रदय में विशेष स्थान था, अपने प्रेरक व्यक्तित्व से वे लाखों के चहेते थे। मैं उनके निधन से आहत हूं’
उन्होंने आगे लिखा, ‘मैने कुछ दिन पहले ही मिल्खा सिंह जी से बात की थी.मुझे नहीं पता था कि यह हमारी आखिरी बात होगी,उनके परिवार और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों को मेरी संवेदनाएं.
खेल मंत्री ने पूर्व धावक को किया वादा
खेल मंत्री किरण रिजिजू ने एक ट्वीट के जरिये मिल्खा जी से यह वादा किया कि वे आने वाकई पीढ़ी को खेल को भारत का चमकता सितारा बनने के लिये प्रेरित करेंगे.
सचिन तेंदुलकर के लिये थे प्रेरणा
मास्टर ब्लास्टर ने फ्लाइंग सिख को आने वाली पीढ़ी के लिये प्रेरणा स्वरूप बताया है.
विराट कोहली ने बताया महान विरासत
कोहली ने ट्वीट के जरिये कहा आपने पूरे देश को लक्ष्य प्राप्ति के लिये किया है.
वीरेन्द्र सहवाग ने बताया साहसी
भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज़ ने मिल्खा सिंह को श्रंद्धाजलि देते हुए क्या कि वे साहस और सहनशक्ति के पर्यायवाची थे.
लक्ष्मण ने अमिट छवि को किया नमन
भारतीय टीम के पूर्व बल्लेबाज़ वीवीएस लक्ष्मण ने मिल्खा जी को याद करते हुए उनकी छवि को जन्म-जन्म के लिये अमिट बताया.
जडेजा ने कहा आपके जैसा कोई नही
ऑलराउंडर खिलाड़ी जडेजा ने फ्लाइंग सिख को राष्ट्र का महान धावक बताते हुए उनकी आत्मा की शांति की कामना की.
अमूल्य प्रतिभा के धनी
चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा ने 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में भी पीला तमगा हासिल किया था.
उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हालांकि 1960 के रोम ओलंपिक में था जिसमें वह 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे.
उन्होंने 1956 और 1964 ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्हें 1959 में पद्मश्री से नवाजा गया था.
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