आस्ट्रेलिया की तरह चैम्पियन बनने के लिए BCCI को कमाने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण करना पड़ेगा
अगले वर्ष ही 2022 में टी ट्वेंटी विश्व कप ऑस्ट्रेलिया में है। उसके बाद तुरंत अगले वर्ष 2023 में एकदिवसीय विश्व कप भारत में है। भारत को अपनी प्रतिष्ठा के लिए इसके लिए अभी से तैयारी शुरु कर देनी चाहिए। अब तो बीसीसीआई ने दोनों छोटे फॉर्मेट के लिए अलग कप्तान बनाया है। और कोच भी राहुल द्रविड़ जैसे सुलझे हुए शख्स को बनाया गया है। इसलिए यह परिवर्तन हमारे क्रिकेट को विश्व क्रिकेट के स्तर तक ले जाऐंगा ऐसी उम्मीद रखनी चाहिए।
इंग्लैंड क्रिकेट का जनक होकर भी जब लम्बे समय तक एकदिवसीय विश्व कप नहीं जीत सका तब ईसीबी ने 2022 के विश्व कप के लिए 2014 से ही तैयारी शुरु कर दी थी और इंग्लैंड वह विश्व कप जीतकर ही रहा। वह जीत चाहे जितनी विवादित रही हो। लेकिन यह मानने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए की इंग्लैंड टीम अब आज की परिस्थिति अनुसार क्रिकेट खेलती है। बस ऐसी ही पूर्व तेयारी की जरुरत हमकों भी है जिससे हम फिर आइसीसी ट्रॉफी की "चोकर्स" नहीं "चैम्पियन" टीम बन सके।
इसलिए भारत को यदि क्रिकेट में अपनी बादशाहत कायम करनी है तो अपने क्रिकेट ढांचे में आमूल चूल परिवर्तन करने होंगे। बायलेट्रल सीरीज और आइसीसी ट्रॉफी को अलग मानकों पर रख कर टीम उस अनुसार तैयार करनी पडेंगी, तभी सफलताएँ हाथ लगेंगी। वरना हमकों भी जल्द ही "चोकर्स" के ठप्पे के लिए तैयार रहना चाहिए।
आने वाले दस वर्षों में पाँच टी ट्वेंटी विश्व कप, चार एकदिवसीय विश्व कप और पुनः शुरु की गई चैम्पियंस ट्रॉफी दो बार आयोजित होंगी। देखना है आने वाले इस एक दशक में हम हमारे क्रिकेट को किस स्तर तक ले जाते है। भारतीय क्रिकेट भी भरपूर प्रतिभाओं से भरा पडा है। जरुरत है तो बस उन प्रतिभाओं को सही समय पर अवसर देने की, नए दौर अनुसार क्रिकेट शैली में टीम को ढालने की। परिवर्तन से सकारात्मक परिणाम अवश्य संभव है। हम भी ऑस्ट्रेलिया की तरह हर बार चैम्पियन बन सकते है जरुरत है तो बस बीसीसीआई के पैसा कमाने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण की।