जब एक छक्के की वजह से गांगुली का शतक फीका पड़ गया था
1997 में भारत और पाकिस्तान के बीच कराची में एक क्रिकेट मैच खेला गया था। मैच सिर्फ 47 ओवर का था और के उस मैच में भारत को 266 रन का लक्ष्य मिला था।
कराची के उस मैच में गांगुली मैन ऑफ द मैच रहे थे। वह मैच अंतिम ओवर तक फंस गया था। तब राजेश_चौहान टीम में बतौर स्पिनर खेला करते थे। उस मैच में उन्होंने एक छक्के की मदद से 3 गेंदों पर 8 रन बनाए थे और गांगुली 89 रन बनाकर मैन ऑफ द मैच रहे थे।
लेकिन उस दिन मैच के हीरो 89 रन बनाने वाले गांगुली नहीं। 8 रन बनाने वाले राजेश चौहान थे क्योंकि जब अंतिम ओवर में लोग जीतने की उम्मीद छोड़ चुके थे, तब उन्होंने छक्का लगाकर मैच भारत को जिताया था।
उस दिन हर गली-मोहल्ले में बस राजेश चौहान के चर्चे थे। सफाईकर्मी जाति समुदाय भी चौहान लिखता है। इस उपनाम वाले लोग गर्व से चिल्ला रहे कि चौहान ने छक्का मारा है। दूसरे लोग उन्हें बूस्ट कर रहे, अरे चौहान छक्का मार गया।
हर आता-जाता शख्स बस राजेश चौहान की चर्चा कर रहा था। घर पर आया हर मेहमान और रिश्तेदार बस राजेश चौहान के कसीदे पढ़ रहा था। हर ओर राजेश चौहान के चर्चे सुन-सुनकर फैन हो गया था। शायद राजेश चौहान वो पहले क्रिकेटर थे, जिनका मैं फैन बना था। कारण वो सिर्फ एक छक्का था. और मैं ही क्यों, अब चौहान जैसे साधारण खिलाड़ी से भी लोग उम्मीदें पालने लगे थे।
उस एक छक्के के चलते गांगुली और कांबली की हाफ सेंचुरी की चर्चा तक नहीं हुई। क्योंकि वह चमत्कारिक छक्का था जो तब आया था, जब सब भारत की हार को लेकर आश्वस्त थे। आपको बताना बस ये है कि चाहे कोई शतक मार दे या अर्द्धशतक, लेकिन असली हीरो उसे ही माना जाता है जो हारे हुए मैच को खत्म करके टीम को जिताए। फिर वह राजेश चौहान की तरह 8 रन बनाये या धोनी की तरह 18।
अफ्रीका के लांस क्लूजनर ने तो अपनी ऐसी ही छोटी-छोटी लेकिन चमत्कारी पारियों के लिए मैन ऑफ द मैच पाए थे।इतिहास की किताब उठाकर देखिए, राजेश चौहान, लांस क्लूजनर से लेकर डग मारिलियर तक ऐसे अनेक नाम मिलेंगे जिन्होंने हारे हुए मैचेज में छोटे-छोटे कैमियो खेलकर बड़ी पारियों को फीका कर दिया था।
कुछ उसी तरह कल धोनी की पारी भी वैसी चमत्कारिक और विशेष थी जो उनके बल्ले से उन हालातों में तब निकली जब किसी ने इसकी कल्पना नहीं की थी।