WORLD CUP: भारत को दूसरा विश्व कप जीतने में पूरे अठ्ठाईस साल लग गए
अंततः एक और विश्व कप संपन्न हो गया और भारत विश्व कप को जीतने के नाम पर एक बार फिर ठन-ठन गोपाल ही रह गया। भारत के पास आइसीसी ट्रॉफी (विश्व कप) के नाम पर ले देकर 1983और 2011 के सिर्फ दो एकदिवसीय विश्व कप और टी ट्वेंटी का पहला विश्व कप जो 2007 में आयोजित हुआ था।
टिमटिमाते हुए हाथ है। विगत लम्बे समय से भारत आइसीसी ट्रॉफी के दोनो फॉर्मेट के विश्व कप जितने के लिए एक तरह से तरस रहा है। हमकों अपना पहला एकदिवसीय विश्व कप जीतने में चाहे ज्यादा समय ना लगा हो, जो हमने 1983 में कपिल पाजी के नेतृत्व में जीता था, लेकिन हमकों दूसरा विश्व कप जीतने में पूरे अठ्ठाईस साल लग गए।
1983 के बाद हमारे अगला विश्व कप जीतने तक पूरे छह विश्व कप हुए लेकिन इस लम्बे समय में हम कप जीतने के नाम पर फिर ठन-ठन गोपाल ही रहे। इसमें हम 2007में सिर्फ एक फाइनल खेलें। इस तरह एक लम्बे अंतराल के बाद हम 2011में इसे धोनी की कप्तानी में जाकर जीत सके। उसके बाद 2015 और 2021 के विश्व कप में हमारा फिर सूखा ही रहा।
इससे भी बूरा हाल हमारा टी ट्वेंटी विश्व कप में रहा। सबसे पहला विश्व कप 2007 का हम जीत तो गए लेकिन उसके बाद पिछले चौदह साल के पूरे छह विश्व कप में हम एक भी विश्व कप ट्रॉफी भारत नहीं ला सके है। इन छह कप में हम सिर्फ एक फाइनल 2014 खेले। इस तरह विश्व कप की प्रतिष्ठित ट्रॉफीयों के नाम पर हम तीन ट्रॉफियों के भरोसे खुद को हमेशा क्रिकेट में विश्व गुरु समझने के मुगालते में ही रहे और इस दरम्यान दूसरे देश दोनों विश्व कप के फॉर्मेट में धडाधड ट्रॉफियां उडाते रहे।