Who-Fi: वाई-फाई टेक्नोलॉजी का नया अपग्रेड जो बढ़ा रहा है प्राइवेसी को लेकर चिंता

 
Who-Fi: वाई-फाई टेक्नोलॉजी का नया अपग्रेड जो बढ़ा रहा है प्राइवेसी को लेकर चिंता

वाई-फाई टेक्नोलॉजी में आए नए बदलाव के बाद लोगों की निजता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। इस नई तकनीक को Who-Fi नाम दिया गया है। इसकी खासियत यह है कि यह किसी को भी बेहद सटीक तरीके से ट्रैक कर सकती है, वह भी बिना कैमरे के। कल्पना कीजिए, अगर आप किसी कमरे में कपड़े बदल रहे हैं या कोई निजी काम कर रहे हैं, तब भी आपकी हर गतिविधि को Who-Fi के जरिए मॉनिटर किया जा सकता है।

हालांकि यह तकनीक फिलहाल आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं है, लेकिन रिसर्च पेपर्स में दावा किया गया है कि यह सामान्य वाई-फाई सिग्नल को बायोमैट्रिक स्कैनर में बदल सकती है। इससे न सिर्फ मूवमेंट ट्रैक किए जा सकते हैं बल्कि व्यक्ति की पहचान (बायोमेट्रिक सिग्नेचर) की पुष्टि भी की जा सकती है।

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क्या है Who-Fi टेक्नोलॉजी?

Who-Fi एक ऐसी तकनीक है जो वाई-फाई सिग्नल्स और AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से काम करती है। इसमें 2.4 GHz वाई-फाई सिग्नल का उपयोग करके किसी भी व्यक्ति की गतिविधियों को बिना कैमरे के मॉनिटर किया जा सकता है।

  • इसमें ट्रांसफॉर्मर-बेस्ड न्यूरल नेटवर्क और चैनल स्टेट इंफॉर्मेशन (CSI) का उपयोग किया जाता है।

  • यह सिस्टम वाई-फाई सिग्नल की ताकत और फेज में बदलाव को पढ़कर यह पता लगाता है कि कमरे में कौन और क्या कर रहा है।

  • यह तकनीक रडार और सोनार की तरह काम करती है, यानी सिग्नल्स का एक नेटवर्क बनाती है और मूवमेंट होते ही उसे ट्रैक कर लेती है।

कितनी सटीक है Who-Fi?

Who-Fi की खासियत इसकी 95% तक की सटीकता है। रिसर्च के मुताबिक, यह दीवारों के पीछे मौजूद लोगों की भी पहचान कर सकती है। इतना ही नहीं, यह एक बार में 9 लोगों तक की मूवमेंट को ट्रैक कर सकती है और साइन लैंग्वेज तक को समझ सकती है।

कैसे काम करता है यह सिस्टम?

  • Who-Fi में सिर्फ एक एंटीना वाले ट्रांसमीटर और तीन एंटीना वाले रिसीवर का इस्तेमाल होता है।

  • कोई व्यक्ति लंबे समय के बाद भी अगर इस सिग्नल के दायरे में आता है, तो सिस्टम उसकी पहचान कर लेता है।

  • यह इतनी स्मार्ट है कि सर्विलांस डिवाइस डिटेक्टर भी इसे पकड़ नहीं पाते।

लोगों की चिंताएं क्यों बढ़ीं?

इस टेक्नोलॉजी के कारण प्राइवेसी (निजता) को लेकर बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। चूंकि यह कैमरे की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए लोगों की निजी गतिविधियां भी ट्रैक की जा सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में अगर यह आम उपयोग में आई तो इसे रेगुलेट करने की सख्त जरूरत होगी।

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