Chhath Puja 2024 Kharna: छठ पूजा के दूसरे दिन का महत्व
Chhath Puja 2024 Kharna: जो आस्था और भक्ति का प्रतीक है, की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो चुकी है। इस चार दिवसीय महापर्व का दूसरा दिन, जिसे खरना कहा जाता है, 6 नवंबर 2024 को मनाया जा रहा है। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन व्रती उपवास रखते हैं और सूर्य देव एवं छठी मैया की पूजा करते हैं। आइए जानें खरना का महत्व और इसे कैसे मनाया जाता है।
छठ पूजा में खरना का क्या महत्व है?
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन है और यह पर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सुख, समृद्धि और संतान की भलाई के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना है। विशेष रूप से महिलाएं इस दिन कठोर उपवास रखती हैं और अपने परिवार एवं बच्चों की सुख-शांति के लिए छठी मैया से प्रार्थना करती हैं। दिन का समापन दीप जलाकर और देवी-देवताओं को भोग लगाकर किया जाता है।
खरना की परंपराएं और उपवास का महत्व
खरना के दिन शाम को व्रती पारंपरिक प्रसाद बनाते हैं और उसे पूजा स्थल पर रखते हैं। उपवास की शुरुआत गुड़ की खीर का प्रसाद ग्रहण करने के बाद होती है, जो इस उपवास का पहला और अंतिम भोजन होता है। इसके बाद व्रती 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत शुरू करते हैं।
इस दिन बनाए गए प्रसाद में बखीर (गुड़ और चावल से बना व्यंजन), ठेकुआ, घी रोटी, और गेहूं का पेठा जैसे विशेष व्यंजन शामिल होते हैं। इन प्रसादों को पूर्ण शुद्धता के साथ बनाना आवश्यक होता है, क्योंकि पूजा के बाद ये प्रसाद परिवार के सभी सदस्यों में बांटा जाता है।
छठ पूजा में खरना का महत्व
खरना भक्ति और शुद्धता का प्रतीक है। उपवास का यह अनुष्ठान मानसिक और शारीरिक शुद्धि को दर्शाता है, क्योंकि इस दिन भोजन और पानी का त्याग कर व्रती अपनी आस्था को प्रकट करते हैं। खरना के दिन बनाए गए प्रसाद जैसे खीर और ठेकुआ का विशेष महत्व होता है, जो पहले देवी-देवताओं को अर्पित किए जाते हैं और फिर परिवार के सदस्यों द्वारा ग्रहण किए जाते हैं।
छठ पूजा में खरना का प्रमुख महत्व
आध्यात्मिक शुद्धि: यह दिन मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए होता है, जिससे भक्त की आस्था और बढ़ती है।
भक्ति और समर्पण: खरना का उपवास छठी मैया के प्रति समर्पण का प्रतीक है, जो उनकी कृपा पर पूरी तरह से विश्वास दिखाता है।
पारिवारिक एकता: यह अनुष्ठान परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है और उनके बीच सामूहिक भक्ति का भाव बढ़ाता है।
छठ पूजा, अपनी विशिष्ट परंपराओं और प्रसाद के साथ, भक्ति, सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिकता का संगम प्रस्तुत करती है। खासतौर पर दूसरा दिन, खरना, अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन व्रती कठोर उपवास और पूजा के माध्यम से अपने ईश्वर के प्रति गहरी आस्था व्यक्त करते हैं।