Eco-Friendly Optical Sensing Platform बना भारतीय वैज्ञानिकों की नई खोज, Ultra-Sensitive Cholesterol Detection अब संभव

गुवाहाटी स्थित IASST (Institute of Advanced Study in Science and Technology) के वैज्ञानिकों ने एक अत्याधुनिक eco-friendly optical sensing platform विकसित किया है, जो बेहद सूक्ष्म स्तर पर cholesterol detection करने में सक्षम है। यह नवाचार हेल्थकेयर और फूड क्वालिटी इंडस्ट्रीज में एक नई क्रांति ला सकता है।
इस optical sensing platform India में खास बात यह है कि यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है और इसका उपयोग ई-कचरा पैदा किए बिना किया जा सकता है। इस परियोजना का नेतृत्व प्रो. नीलोत्पल सेन शर्मा, डॉ. आशीष बाला और सीनियर रिसर्च फेलो नसरीन सुल्ताना ने किया है।
कैसे काम करता है नया Optical Sensing Platform?
यह प्लेटफॉर्म silk fibers और phosphorene quantum dots के संयोजन से बनाया गया है और इसे cellulose nitrate membrane में एकीकृत किया गया है। इसकी सहायता से ultra-sensitive cholesterol detection संभव हो पाई है। यह तकनीक instant result देती है और किसी भी स्थान पर point-of-care cholesterol device के रूप में कार्य कर सकती है।
स्वास्थ्य और खाद्य गुणवत्ता परीक्षण में उपयोग
नई तकनीक को human blood, rat serum और milk samples पर सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया है। इसका उपयोग न केवल चिकित्सा क्षेत्र में बल्कि दूध और खाद्य गुणवत्ता जांच के लिए भी किया जा सकता है।
यह सेंसर विशेष रूप से हृदय रोगों जैसे atherosclerosis, thrombosis, myocardial infarction, hypertension और cancer जैसी बीमारियों के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने में मदद करेगा।
Cholesterol Science: क्यों है इसकी जाँच ज़रूरी?
Cholesterol शरीर में अत्यंत आवश्यक लिपिड है, लेकिन LDL (bad cholesterol) का उच्च स्तर धमनियों में ब्लॉकेज का कारण बन सकता है, जबकि HDL (good cholesterol) धमनियों को साफ रखने में मदद करता है। असंतुलन से गंभीर बीमारियाँ जन्म ले सकती हैं। ऐसे में sustainable healthcare technology के तहत विकसित यह नई तकनीक समय रहते बीमारी पकड़ने में मदद करेगी।
IASST Guwahati का लक्ष्य और भविष्य की दिशा
IASST Guwahati research का उद्देश्य हेल्थकेयर क्षेत्र में eco-friendly optical sensing platform जैसी नवीन तकनीकों के ज़रिए कम लागत और उच्च दक्षता के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना है। इससे न सिर्फ भारत, बल्कि विश्व भर में हेल्थकेयर सिस्टम को नई दिशा मिल सकती है।