Allahabad High Court ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने पर रोक लगाई, व्यभिचार के आरोपों पर विचार करेगा
Allahabad High Court: फिरोजाबाद की परिवार अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए पति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस आदेश में पत्नी को गुजारा भत्ता देने की बात कही गई थी। पति ने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में दलील दी कि उसकी पत्नी व्यभिचार में लिप्त है और धारा 125(4) के तहत यदि इस तरह के आरोप हैं, तो परिवार अदालत को पहले इस मुद्दे का निपटारा करना चाहिए।
कोर्ट का निर्णय
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि परिवार अदालत ने पत्नी को सात हजार रुपए का अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश में व्यभिचार के मुद्दे का निपटारा नहीं किया है। कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है और पत्नी को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।
अगली सुनवाई
इस मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।
कानूनी प्रक्रिया का महत्व
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना आरोपों की सुनवाई किए गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी करने का अधिकार अदालत को नहीं है। यह निर्णय इस बात को दर्शाता है कि व्यक्तिगत आरोपों के निपटारे से पहले किसी भी वित्तीय सहायता पर विचार नहीं किया जा सकता।