India-Canada Relations: भारत-कनाडा संबंधों में कड़वाहट, अमेरिका का खेल और बढ़ती दूरियां

India-Canada Relations: भारत और कनाडा के संबंधों में बीते समय में काफी खटास आई है। इन रिश्तों की बिगड़ती स्थिति का कारण सिर्फ दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों का रवैया नहीं है, बल्कि कई अन्य देशों का भी इसमें योगदान है। सबसे बड़ा खेल अमेरिका खेल रहा है, जो भारत और कनाडा के बीच दूरियां बढ़ा रहा है।
टोरंटो शहर की सामाजिकता
कनाडा का टोरंटो शहर विविधता और सामाजिकता के मामले में सबसे अलग है। यहां हर व्यक्ति अपनी पहचान के साथ निर्भय होकर जीता है। इस शहर में आप्रवासी और नेटिव लोग एक साथ रहते हैं और अपनी-अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करते हैं।
कनाडा में स्व-अनुशासन
कनाडा के लोगों का स्व-अनुशासन उनकी सबसे बड़ी विशेषता है। यहां हर व्यक्ति को अपने विचार रखने की आज़ादी है, लेकिन किसी व्यक्ति या समुदाय को हीन दृष्टि से देखना बर्दाश्त नहीं किया जाता। कनाडा में विविधता और समरसता को बहुत महत्व दिया जाता है।
जस्टिन ट्रूडो और अमेरिका का दबाव
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले 9 वर्षों से सत्ता संभाल रखी है। हालांकि, उनके पिता पियरे ट्रूडो ने भी अमेरिका के दबाव को कभी स्वीकार नहीं किया था। कनाडा की स्वतंत्र नीति ने हमेशा से अमेरिका को हैरान किया है।
अमेरिका की कूटनीति
अमेरिका और कनाडा के रिश्तों में अमेरिका का हमेशा से बड़ा हाथ रहा है। अमेरिका चाहता है कि कनाडा उसकी नीतियों के अनुसार चले, लेकिन कनाडा की सरकारें हमेशा अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र रही हैं।
जस्टिन ट्रूडो ने कैसे बिगाड़े रिश्ते?
आज, जस्टिन ट्रूडो की सरकार और भारत के बीच बढ़ती दूरियों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। अमेरिका और ब्रिटेन, कनाडा के समर्थन में खड़े हैं और भारत को संयम बरतने की सलाह दे रहे हैं।
रूस और चीन का रुख
रूस और चीन भी इस विवाद में अपनी-अपनी चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं। रूस ने कनाडा से दूरी बना ली है, जबकि चीन भी मौजूदा कूटनीति में रूस का समर्थन कर रहा है।