जाति जनगणना पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला, जानिए कब होगी शुरू

भारत में आजादी के बाद पहली बार केंद्र सरकार ने जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय लिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि यह मूल जनगणना के साथ ही की जाएगी।
सितंबर में हो सकती है शुरुआत, आंकड़े 2026 तक
कयास लगाए जा रहे हैं कि जाति जनगणना की शुरुआत सितंबर 2025 में हो सकती है। जनगणना की प्रक्रिया पूरी होने में करीब एक साल का समय लगेगा और आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में सामने आ सकते हैं।
जनगणना में होंगे OBC के लिए अतिरिक्त कॉलम
अब तक जनगणना फॉर्म में केवल SC और ST की गिनती होती थी। अब जाति जनगणना के लिए अतिरिक्त कॉलम जोड़े जाएंगे। इसके लिए जनगणना एक्ट 1948 में संशोधन आवश्यक होगा। इससे देश में 2,650 से अधिक OBC जातियों की वास्तविक संख्या सामने आ सकेगी।
पिछली बार 2011 में हुई थी सामाजिक-आर्थिक जनगणना
2011 में मनमोहन सिंह सरकार ने सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) करवाई थी, लेकिन जातिगत डेटा कभी सार्वजनिक नहीं किया गया। केवल SC/ST घरानों से संबंधित डेटा ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी किया गया था।
अमित शाह का बयान और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही कहा था कि जनगणना 2025 में उचित समय पर कराई जा सकती है। वहीं विपक्षी दलों ने इसे अपनी राजनीतिक जीत बताया है।
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जातिगत जनगणना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
जातिगत जनगणना की मांग 1980 के दशक में जोर पकड़ने लगी, जब क्षेत्रीय दलों ने आरक्षण के अधिकार को लेकर अभियान शुरू किया। 1979 में मंडल कमीशन का गठन हुआ जिसने OBC को आरक्षण देने की सिफारिश की। इसे 1990 में लागू किया गया था।
2010 में लालू यादव और मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं ने फिर से जातिगत जनगणना की मांग को हवा दी थी। 2011 में SECC के जरिए सर्वे तो हुआ, लेकिन आंकड़े आज तक छुपे हुए हैं।