Look Back 2023: अंतरिक्ष, गगन, चांद और सूरज सब जगह भारत को मिली कामयाबी, जानें भारत ने कैसे रचा इतिहास 

 
Look Back 2023


Look back 2023: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 2023 में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं। इसमें चंद्रमा के एक हिस्से दक्षिण ध्रुव पर चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को आसानी से उतारने वाला पहला देश बनने से लेकर, सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला, आदित्य-एल1 को लॉन्च करने तक शामिल है। इसरो ने गगनयान का पहला मानवरहित उड़ान परीक्षण भी पूरा किया। इसके अलावा फिर से प्रयोग की जा सकने वाली प्रक्षेपण यान टेक्नोलॉजी का भी प्रदर्शन किया  सूर्य के अध्ययन के लिए पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर आदित्य एल-1 मिशन भेजा । इसके बाद खगोलीय एक्स-रे व प्रकाश के स्रोतों के अध्ययन के लिए देश का पहला धुवनमापन (पोलरीमीटर) मिशन एक्सपोसेट भेजा। आइए जानते हैं कितना कामयाब रहा है हमारे देश के लिए 2023। 


चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर पहली बार सॉफ्ट लैंडिंग

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर पहली बार सॉफ्ट लैंडिंग से लेकर भारत के पहले सौर मिशन की शुरुआत तक, इसरो ने न केवल अपनी तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि कोरोनो वायरस महामारी, लॉकडाउन और दिल तोड़ने माहौल के बीच गर्व करने का पल दिया। चंद्रमा पर अपना चंद्रयान 3 उतारकर हम दुनिया के चौथे और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाले पहले देश बनें। चंद्रमा का साउथ पोल अपनी अनूठी विशेषताओं के कारण खोज का केंद्र बिंदु बन गया है। इसके तापमान, सीमा और क्षेत्र को समझना विभिन्न वैज्ञानिक प्रयासों और भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है।

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चंद्रमा के साउथ पोल पर तिरंगा

चंद्रमा के साउथ पोल पर तिरंगा

 यह भारत का कभी ना भूलने वाला क्षण था, जब चंद्रयान-3 3,84,400 किमी से अधिक दूर पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह पर उतरा था। भारत चंद्रयान-3 मिशन के साथ चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया। भारत की यह ऐतिहासिक उपलब्धि न केवल इसरो की इंजीनियरिंग क्षमताओं का प्रमाण है, बल्कि एक ऐसे राष्ट्र के लिए प्रेरणा का प्रतीक भी है जो लंबे समय से अंतरिक्ष अन्वेषण में विशिष्ट लोगों में शामिल होने की आकांक्षा रखता है। इसरो का चंद्रयान-3 मिशन सिर्फ लैंडिंग के बारे में नहीं था। इस मिशन ने दुनिया के सामने भारत की टेक्नोलॉजी को रखा। इसमें विक्रम लैंडर पर एक हॉप प्रयोग और प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में ले जाना शामिल था। मिशन के पेलोड ने कई वैज्ञानिक खोजें कीं। इसमें चंद्रमा पर सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि करना और चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र की पहली तापमान-गहराई प्रोफाइल तैयार करना शामिल रहा।

चंद्रमा के बाद सूर्य की तरफ कदम

चंद्रमा के बाद सूर्य की तरफ कदम

चंद्रमा पर सफलता के तुरंत बाद, इसरो ने एक पखवाड़े से भी कम समय में भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला, आदित्य-एल1 को लॉन्च किया। आदित्य एल-1 मिशन को भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने इसी साल 2 सितंबर को लॉन्च किया था। ये धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित L1 यानी लैग्रेंज पॉइंट 1 पर जाएगा। इस पॉइंट से सूर्य की दूरी 14.85 किमी दूर है। इसी पॉइंट से आदित्य एल-1 सूर्य की स्टडी करेगा। इसरो का ये मिशन करीब 4 महीने में पूरा होना है। यह मिशन सूर्य की सबसे बाहरी परत, कोरोना का अध्ययन करके सूर्य के बारे में हमारी समझ को गहरा करने के लिए है। इसका अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसरो के इस मिशन में कई पेलौड्स हैं। इसमें प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA), विजिबल लाइन एमिसन कोरोनाग्राफ (VELC), हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL10S), सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS), आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) और एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर्स (MAG) शामिल हैं।

गगनयान के क्रू मॉड्यूल का टेस्ट सफल

गगनयान के क्रू मॉड्यूल का टेस्ट सफल

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक भारतीय को अंतरिक्ष में भेजने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। गगनयान मिशन के पहले उड़ान परीक्षण से पता चला कि भारत सही रास्ते पर है। इसरो ने इस साल 21 अक्टूबर को गगनयान मिशन के लिए क्रू मॉड्यूल का सफलतापूर्वक टेस्ट किया। एक छोटे रॉकेट के जरिए इंसान को अंतरिक्ष में भेजने के अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘गगनयान’ की दिशा में पहला कदम बढ़ा चुका है। इसरो का लक्ष्य तीन दिवसीय गगनयान मिशन के लिए मानव को पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें वापस लाना है। मानव मिशन में क्रू को सुरक्षित लैंड कराने में इस टेस्ट की अहम भूमिका है। गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्री चुनने की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना को दी गई थी। IAF के चार पायलटों ने रूस में अपनी ट्रेनिंग कंपलीट कर ली है। इन्हें मॉस्को के नजदीक रूसी स्पेस सेंटर में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग दी गई। इससे पहले इसरो ने गगनयान मिशन के लिए तीन ड्रग पैराशूट परिनियोजन परीक्षणों की एक सीरीज भी सफलतापूर्वक पूरी कर चुका है। यह टेस्ट 8 से 10 अगस्त, 2023 तक विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की तरफ से चंडीगढ़ में टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज फैसिलिटी में आयोजित किए गए थे।

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