हार्वर्ड का अध्ययनः सोशल मीडिया कंपनियां बच्चों से कमा रहीं आय का 40% हिस्सा, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य से समझौता
Social Media: बच्चों की मानसिक सेहत पर होने वाले दुष्प्रभाव की वैश्विक चिंताओं की बीच हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्ययन में दावा किया गया है कि दिग्गज सोशल मीडिया कंपनियां अमरीका में आय का 40 फीसदी तक बच्चों की सोशल मीडिया व्यूअरशिप से कमा रही है। अध्ययन के अनुसार, अमरीका में सोशल मीडिया कंपनियों ने बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग से 2022 में 11 अरब डॉलर कमाए। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के नेतृत्व में हुए अध्ययन से ये खुलासा हुआ है। बुधवार को जारी अध्ययन के निष्कर्ष स्पष्ट रूप से बताते हैं कि शीर्ष कंपनियां बच्चों और किशोर उपयोगकर्ताओं से काफी लाभ कमा रही हैं, लेकिन इसको स्वीकार नहीं करती हैं। रिपोर्ट में युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सोशल मीडिया के 'अधिक पारदर्शी' तथा इसके 'अधिक रेगुलेशन की जरूरत' रेखांकित की गई है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि सोशल मीडिया का ज्यादा उपयोग बच्चों को मानसिक रूप से बीमार कर रहा है। इसके चलते इसी वर्ष न्यूयॉर्क, यूटा जैसे राज्यों ने बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग रोकने के लिए कानून भी बनाए है।
वयस्कों से ज्यादा बिता रहे सोशल मीडिया पर समय
अध्ययन के अनुसार, युवा उपयोगकर्ता प्रतिदिन सबसे अधिक समय 99 मिनट तक टिकटॉक और स्नैपचैट पर 84 मिनट तक बिता रहे हैं। जबकि वयस्कों ने टिकटॉक और यूट्यूब पर रोजाना करीब 46 मिनट समय बिताया। गौरतलब है कि हाल में गैलप के अध्ययन में यह ब पाया गया था कि अमरीका में में किशोर प्रतिदिन 4.8 घंटे सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं।
हार्वर्ड का अध्ययन
शोधकर्ताओं ने अमरीकी जनसंख्या का डेटा और कॉमन सेंस मीडिया तथा प्यू रिसर्च के आधार पर 2022 में फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, टिकटॉक, एक्स और यूट्यूब पर 18 वर्ष से कम उम्र के उपयोगकर्ताओं की संख्या का अनुमान लगाया। इसके बाद सोशल मीडिया कंपनियों का अमरीका में विज्ञापन राजस्व और प्रत्येक प्लेटफार्म पर बच्चों द्वारा प्रतिदिन बिताए गए समय का उपलब्ध अध्ययनों के आधार पर अनुमान लगाया। उसके बाद शोधकर्ताओं ने सिमुलेशन मॉडल के आधार पर सोशल मीडिया कंपनियों की बच्चों से होने वाली आय का अनुमान लगाया।
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य से समझौता
रिपोर्ट में कहा गया है कि सोशल मीडिया कंपनियां ये दावा करती हैं कि वे सोशल मीडिया से युवाओं को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए उसे सेल्फ रेगुलेट कर सकती हैं, पर ऐसा अब तक नहीं किया गया है। इसके पीछे कंपनियों के स्पष्ट से आर्थिक हित छिपे हुए हैं।