Supreme Court Decision: औद्योगिक शराब पर कानून बनाने का अधिकार राज्यों को, 27 साल पुराना निर्णय पलटा

Supreme Court Decision ने औद्योगिक शराब के कानून को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि औद्योगिक अल्कोहल पर कानून बनाने का अधिकार राज्यों को है, जो कि 27 साल पुराने फैसले को पलटता है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 8-1 के बहुमत से निर्णय सुनाया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन, निर्माण और आपूर्ति को नियंत्रित कर सकती हैं। यह निर्णय 1997 में सात जजों की बेंच द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ है, जिसमें केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया गया था।
सीजेआई का बयान
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र सरकार के पास औद्योगिक अल्कोहल पर अधिकार नहीं है। इस फैसले में जस्टिस बी वी नागरत्ना ने असहमति जताई और अपना अलग निर्णय सुनाया।
औद्योगिक अल्कोहल क्या है?
औद्योगिक अल्कोहल का उपयोग मानव उपभोग के लिए नहीं होता है। सीजेआई चंद्रचूड़ के अनुसार, ‘मादक शराब’ शब्द में शराब का उत्पादन, निर्माण और वितरण शामिल है, और इसमें ऐसी शराब भी आती है जो पारंपरिक रूप से नशा नहीं करती है।
संविधान का संदर्भ
संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत, राज्य सूची की प्रविष्टि 8 राज्यों को ‘नशीले शराब’ के निर्माण और बिक्री पर कानून बनाने की शक्ति देती है। वहीं, संघ सूची और समवर्ती सूची में ऐसे उद्योगों का उल्लेख है जिनका नियंत्रण संसद द्वारा किया जा सकता है।
यह फैसला केंद्र और राज्य के बीच कानून बनाने के अधिकारों को स्पष्ट करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि राज्य सरकारें अपने अधिकारों का सही तरीके से इस्तेमाल कर सकें।