Bitcoin Controversy: सुप्रिया सुले पर लगे आरोपों की पूरी कहानी

 
Bitcoin Controversy: सुप्रिया सुले पर लगे आरोपों की पूरी कहानी

Maharashtra Elections 2024 की राजनीति में बिटकॉइन के दुरुपयोग और चुनावी फंडिंग के आरोपों ने हलचल मचा दी है। एनसीपी (शरद पवार गुट) नेता सुप्रिया सुले इस विवाद के केंद्र में हैं। यह विवाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सामने आया, जिससे मतदाताओं और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच बड़ी बहस छिड़ गई है।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने सुप्रिया सुले पर चुनावी फंडिंग के लिए बिटकॉइन के दुरुपयोग का गंभीर आरोप लगाया। त्रिवेदी ने दावा किया कि सुले ने नकद के बदले बिटकॉइन एक्सचेंज करने का प्रस्ताव दिया और आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी के सत्ता में आने के बाद किसी भी संभावित जांच को संभाल लिया जाएगा।

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त्रिवेदी ने इन आरोपों को एक कथित वॉइस रिकॉर्डिंग और संदेशों के साथ पेश किया। रिकॉर्डिंग में सुले की ओर से कहा गया:
"नकद के बदले बिटकॉइन चाहिए... जांच की चिंता मत करो, जब हम सत्ता में आएंगे, सब संभाल लेंगे।"

यह आरोप सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गए, और कई बीजेपी नेताओं ने इन्हें जोर-शोर से प्रचारित किया।

सुले का खंडन और कार्रवाई

सुप्रिया सुले ने इन आरोपों का तुरंत खंडन किया और वॉइस रिकॉर्डिंग और संदेशों को "फर्जी और गढ़ा हुआ" बताया। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा:
"कल मुझे मीडिया से ये सभी वॉइस रिकॉर्डिंग मिलीं। सबसे पहले मैंने पुणे के कमिश्नर को फोन किया और बताया कि फर्जी वीडियो चल रहे हैं। इसके बाद मैंने साइबर क्राइम में शिकायत दर्ज कराई।"

सुले ने साइबर क्राइम विभाग में शिकायत दर्ज की और बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी के खिलाफ मानहानि का आपराधिक मामला भी दायर किया। इसके अलावा, उन्होंने चुनाव आयोग से भी शिकायत की, यह दावा करते हुए कि बीजेपी मतदाताओं को गुमराह करने के लिए झूठी जानकारी फैला रही है।

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ट्वीट ने और बढ़ाया विवाद

 

 

बीजेपी नेताओं ने सुले के कथित बयान को ट्वीट कर और हवा दी:

“नकद के बदले बिटकॉइन चाहिए... जांच की चिंता मत करो, जब हम सत्ता में आएंगे, सब संभाल लेंगे।”

यह ट्वीट चर्चा का केंद्र बन गया, जिससे एनसीपी के समर्थकों और आलोचकों के बीच तीखी प्रतिक्रिया हुई।

अजीत पवार का बयान विवाद को और बढ़ाता है

विवाद के बीच, सुले के भाई और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अजीत पवार ने लीक ऑडियो क्लिप में आवाज की प्रामाणिकता की पुष्टि की। बारामती में मतदान के बाद उन्होंने कहा:
"जो भी ऑडियो क्लिप दिखाई जा रही है, मैंने दोनों के साथ काम किया है। एक मेरी बहन हैं और दूसरे व्यक्ति के साथ मैंने काफी काम किया है। क्लिप में उनकी आवाजें हैं, मैं उनके लहजे से पहचान सकता हूं।"

उनके बयान ने बीजेपी को सुले पर और आक्रामक होने का मौका दे दिया।

बीजेपी की रणनीति और रुख

सुधांशु त्रिवेदी, जिन्होंने इन आरोपों को उजागर किया, ने सुले को सार्वजनिक रूप से जवाब देने की चुनौती दी। त्रिवेदी ने कहा:
"महाराष्ट्र के लोग सच्चाई जानने का अधिकार रखते हैं। अगर ये आरोप झूठे हैं, तो सुप्रिया सुले आगे आकर सफाई दें।"

बीजेपी इस मुद्दे को एनसीपी और शरद पवार गुट के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर भुनाने में जुटी है।

राजनीतिक प्रभाव और उठे सवाल
ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता: सुले ने इसे फर्जी बताया है, लेकिन अजीत पवार के बयान ने मामले को जटिल बना दिया है।
आरोपों का समय: चुनाव से ठीक पहले आरोप लगने से राजनीतिक उद्देश्य की आशंका बढ़ी है।
कानूनी और नैतिक परिणाम: अगर आरोप झूठे साबित हुए, तो बीजेपी को मानहानि और झूठी जानकारी फैलाने के लिए परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

निष्कर्ष

बिटकॉइन विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। सुले ने जहां सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है, वहीं बीजेपी जवाबदेही की मांग कर रही है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, सच सामने आएगा।

फिलहाल, इस विवाद ने मतदाताओं को विभाजित कर दिया है और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में एक नया मोड़ ला दिया है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी स्थिति पर डटे हुए हैं, जिससे यह मामला जल्द सुलझता नजर नहीं आ रहा।

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