इमरान खान पर सेना का दोतरफा वार, पीटीआई पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी

पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान पर सेना दोतरफा वार कर रही है। एक तरफ तो हजारों की संख्या में पीटीआई कार्यकर्ता गिरफ्तार कर जेल भेजे जा चुके हैं तो वहीं दूसरी ओर उनकी पार्टी पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है। इमरान के कई करीबी नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान और शक्तिशाली सेना के बीच दरार पिछले कुछ दिनों में और ज्यादा गहरी हो गई है। यूं तो इमरान पिछले साल सत्ता से बाहर होने के बाद से सैन्य अफसरों पर निशाना साध रहे थे लेकिन 9 मई को उनकी गिरफ्तारी के बाद हुए दंगों ने इस तनाव को दुश्मनी में बदल दिया। सेना ने दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है तो वहीं सरकार इमरान की पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। जैसे- जैसे पीटीआई पर सेना का शिकंजा कस रहा है इमरान के ज्यादातर करीबी नेता पार्टी छोड़ रहे हैं और बचे हुए जेल में हैं। इमरान खान के सबसे खास लोगों में गिने जाने वाले फवाद चौधरी भी अब साथ छोड़ चुके हैं। उनसे पहले पार्टी की वरिष्ठ नेता और उपाध्यक्ष शिरीन मजारी ने इसी आधार पर पीटीआई से इस्तीफा दे दिया था। मजारी को हाल ही में कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है।
राजनीति छोड़ने का ऐलान किया
उन्होंने स्वास्थ्य और पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए पूरी तरह राजनीति छोड़ने का ऐलान किया है। पार्टी छोड़ने का यह सिलसिला महमूद बाकी मौलवी के साथ शुरू हुआ था। दूसरी ओर पर्दे के पीछे शहबाज सरकार और पाक सेना इमरान की पार्टी पर बैन लगाने की तैयारी कर रहे हैं। यह संभावित प्रतिबंध पहले से सैकड़ों मुकदमों का सामना कर रहे इमरान की मुश्किलें कई गुना बढ़ा देगा। इमरान व पाकिस्तानी सेना के संबंध पिछले कुछ साल में दोस्ती से दुश्मनी में बदल गए हैं। 2018 में इमरान सेना की मदद से सत्ता में आए थे। सेना को अपने हितों की सुरक्षा के साथ रूढ़िवादी और राष्ट्रवादी एजेंडे को पूरा करने के लिए इमरान में एक संभावना नजर आई। एक दौर वह था जब विपक्ष में बैठे शहबाज शरीफ और बिलावल भट्टो जैसे नेता इमरान को सेना की कठपुतली कहते थे। लेकिन प्रमुख सैन्य पदों पर नियुक्तों को लेकर इमरान और जनरलों के बीच दरार आ गई जो देखते ही देखते खाई में तब्दील हो गई।"
इमरान को सत्ता से बाहर कर दिया गया
दरार आ गई जो देखते ही देखते खाई म अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव लाकर इमरान को सत्ता से बाहर कर दिया गया। तब से यह अदावत बढ़ती चली गई और 9 मई को जो हुआ वह इसी का परिणाम था। इमरान सेना और आईएसआई पर अपनी हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगा चुके हैं। इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान में कोई भी सरकार सेना के खिलाफ जाकर अपना अस्तित्व नहीं बचा पाई है। ऐसे मुल्क में इमरान सेना को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। उनके पास भीड़ जुटाने की अद्भुत क्षमता है। लोग उनके एक इशारे पर रैली से लेकर विरोध प्रदर्शनों में दौडे चले आते हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि सेना के भीतर भी एक धड़ा इमरान का समर्थन करता है। लेकिन फिलहाल वह कई मोर्चों पर कमजोर हैं। भ्रष्टाचार से लेकर आतंकवाद तक के किसी भी केस में अगर उन्हें दोषी पाया गया तो पूरी संभावना है कि वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। हालांकि, आज शहबाज सरकार जिस सेना के इशारे पर इमरान खान को निपटाने में लगी है, एक दिन वही सेना शहबाज को भी ठिकाने जरूर लगाएगी। यह पाकिस्तान का इतिहास कहता है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में सभी पार्टियां खुद को कमजोर बनाने मैं लगी हैं। ताकतवर सिर्फ सेना होगी।
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