Attack on Hindus: बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदु परिवारों की हत्या, तस्लीमा नसरीन ने कहा मदरसे से फैल रही है नफ़रत
पहले अफ़ग़ानिस्तान फिर पाकिस्तान और अब बांग्लादेश इन देशों में लगातार हिंदूओं की संख्या कम हो रही है। इन देशों में इस्लामिक आतंकवाद अपने चरम पर है और यहाँ ग़ैर मुस्लिमों का रहना मुश्किल हो गया है। चुन-चुन कर हिंदूओं की हत्या हो रही है। एक समय था जब यह देश भी अखंड भारत का हिस्सा हुआ करते थे और आज यहा हिंदुओं की संख्या लगातार गिर रही है, कुछ छोड़ कर जा रहे है तो कुछ मारे जा रहे है।
दुर्गापूजा भारत के पूर्वांचल,झारखंड,बिहार और बंगाल में बहुचर्चित त्योहार है। बांग्लादेश में रह रहे हिंदूओ के लिय भी दुर्गापूजा पवित्र त्योहार है। हाल ही में बांग्लादेश में दुर्गापूजा के दौरान हिंदू मंदिरो पर हमले हुए और कट्टरपंथी समुदाय ने “रंगपुर जिले” के पीरगंज गाँव में हिंदुओं के 29 घरों में आग लगा दी। इस मानव विरोधी घटना में कई हिंदुओं का हाथ काट दिया तो कई की हत्या इतनी बर्बरता से की कई की देखकर किसी की भी रूह काँप जाए।
कुछ दिन पहले बांग्लादेश के कोमिला इलाके में दुर्गापूजा के एक पंडाल में कथित ईशनिंदा के बाद हिंदू मंदिरों पर हमले किए गए और कोमिला, चांदपुर, चटगांव, कॉक्स बाजार, बंदरबन, मौलवीबाजार, गाजीपुर, फेनी सहित कई जिलों में पुलिस और हमलावरों के बीच संघर्ष हुआ। इस दौरान हमलावरों के एक समूह ने रंगपुर जिले के पीरगंज गांव में हिंदुओं के करीब 29 घरों में आग लगा दी थी। इसके अलावा इस्कान मंदिर पर हमला कर पुजारी की हत्या कर दी गई।
बांग्लादेश को पाकिस्तान से आज़ाद कराने वाला भारत ही था। 1971 में जब विभाजन हुआ और एक नया देश के रूप में बांग्लादेश को पहचान दी गई तो इस देश ने भी क़समें खाई थी। हमारे देश में अल्पसंख्यक समुदाय को सुरक्षा दी जाएगी पर बांग्लादेश ने भी पाकिस्तान जैसा धोखा किया और 1971 में वहाँ हिंदुओं की आबादी 30 प्रतिशत थी जो की घट कर मात्र 9 प्रतिशत ही रह गई है।
लेखिका तस्लीमा नसरीन ने हिंदुओं के ख़िलाफ़ होते अत्याचार पर अब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को आड़े हाथो लिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को हर बार अच्छे से पता होता है की हिंदू त्योहारो पर जिहादी हिंदुओं को टार्गेट करते है। तो शेख़ हसीना ने हिंदुओं की सुरक्षा का इंतज़ाम क्यों नही किया? और साथ ही कहा की बांग्लादेश अब “जिहादीस्तान बनता जा रहा है।
तसलीमा ने बेशुमार संख्या में मदरसों और मस्जिदों के निर्माण का विरोध करते हुए कहा, “बांग्लादेश में बेवजह इतनी मस्जिद और मदरसे बनाए जा रहे हैं। मजहबी उपदेशों का चलन बढ़ गया है जो अनपढ़ गरीबों को इस्लाम के नाम पर कट्टरपंथी बना रहा हैं। कुरान अरबी में है और हर कोई पढ़ नहीं सकता, लिहाजा ये कट्टरपंथी अपने हिसाब से उसकी व्याख्या करते हैं । ऐसे में जब कुरान की निंदा की अफवाह फैलती है तो ये लोग मारने पर उतारू हो जाते हैं।”
तस्लीमा नसरीन ने यही हाल रहा तो अब बांग्लादेश में बचे-खुचे हिंदू भी वहा नही रहेंगे। बांग्लादेश की यह हिंदू विरोधी मानसिकता चिंताजनक है। तस्लीमा को 28 साल पहले 1993 में उनके चर्चित उपन्यास ‘लज्जा’ के प्रकाशन के बाद बांग्लादेश से निष्कासित कर दिया गया था। यह उपन्यास भारत में 1992 में हुए बाबरी विध्वंस के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए एक तरफा हमले पर आधारित था।
तसलीमा ने कहा, “आप देश को क्या बनाना चाहते हैं ? दूसरा तालिबान ? सारी आर्थिक प्रगति बेकार है अगर दिमाग में ऐसा जहर भरा जा रहा है। इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है लेकिन वहां इसकी शिक्षा दी ही नहीं जा रही। उन्होंने कहा, “मैंने अपना पूरा जीवन कट्टरपंथियों के निशाने पर रह कर निकाला है|
मैंने महिलाओं और मानवाधिकार के मुद्दे उठाए और उनपर लेख लिखे। मुझे मेरे ही देश से 28 साल पहले निकाल दिया गया था और किसी सरकार ने मुझे दोबारा आने नहीं दिया। लज्जा आज तक वहां प्रतिबंधित है और किसी ने इसका विरोध भी नहीं किया। मुझे बहुत दुख होता है।”
यह भी पढ़े: Vaccination In India-भारत ने टीकाकरण में किया टॉप, 100 करोड़ से अधिक लोगों को लगी वैक्सीन
यह भी देखे: