सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग के "लोकतंत्र" वाली टिप्पणी पर भारत ने जताई नाराजगी, राजदूत को किया तलब
विदेश मंत्रालय (MEA) ने बुधवार को संसद में देश के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग द्वारा की गई टिप्पणी पर भारत में सिंगापुर के राजदूत साइमन वोंग को तलब किया है.
MEA के सूत्रों ने बताया कि सिंगापुर के प्रधानमंत्री की टिप्पणी 'अनावश्यक' थी. बुधवार को सिंगापुर की संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने जवाहरलाल नेहरू का ज़िक्र यह तर्क देने के लिए किया था कि लोकतंत्र को कैसे कार्य करना चाहिए. उन्होंने वर्कर्स पार्टी के एक पूर्व सांसद के खिलाफ शिकायतों पर एक समिति की रिपोर्ट पर बहस के दौरान यह बयान दिया.
पीएम लूंग ने कहा, "चीजें जोशीली तीव्रता के साथ शुरू होती हैं. स्वतंत्रता के लिए लड़ने और जीतने वाले नेता अक्सर महान साहस, अपार संस्कृति और उत्कृष्ट क्षमता वाले असाधारण व्यक्ति होते हैं. वे आम आदमी से राष्ट्रों के नेताओं के रूप में उभरे. वे डेविड बेन-गुरियन, जवाहरलाल नेहरू हैं और कई हमारे भी अपने हैं."
सिंगापुर के पीएम ने नेहरू का आह्वान करते हुए कहा कि संसदीय बहस के दौरान लोकतंत्र को कैसे काम करना चाहिए, जबकि भारत के पीएम (नरेंद्र मोदी) नेहरू को संसद के अंदर और बाहर हर समय बदनाम करते हैं.
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उन्होंने आगे कहा, "जबकि नेहरू का भारत आज एक ऐसा देश बन गया है, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, लोकसभा में लगभग आधे सांसदों के खिलाफ बलात्कार और हत्या के आरोपों सहित आपराधिक आरोप लंबित हैं. हालांकि यह भी कहा जाता है कि कई ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं."
पीएम लूंग ने यह भी कहा कि सिंगापुर के लोग अपने नेताओं, प्रणालियों और संस्थानों पर भरोसा तभी कर सकते हैं यदि सरकार के लोग ईमानदारी को बनाए रखते हैं और समान नियमों और मानकों को सभी के लिए समान रूप से लागू करते हैं.
उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा, "हमारा लोकतंत्र परिपक्व हो सकता है, गहरा हो सकता है और अधिक लचीला हो सकता है क्योंकि शासित और शाशक दोनों सही मानदंडों और मूल्यों को गले लगाते हैं और व्यक्त करते हैं. सिंगापुर फलता-फूलता रह सकता है. लेकिन अगर हम खुद को यहां मानकों को ढीला करने देते हैं इसके दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं.
भारत सरकार ने "नेहरू के भारत" और सांसदों के आपराधिक रिकॉर्ड पर सिंगापुर के प्रधानमंत्री की टिप्पणियों की आलोचना की है और कहा है कि वह इसे देश के साथ उठाएंगे.
सरकारी सूत्रों ने बताया, "सिंगापुर के प्रधानमंत्री की टिप्पणी अनावश्यक थी. हम मामले को सिंगापुर के पक्ष के साथ उठा रहे हैं." अब सिंगापुर के पीएम द्वारा इस विवादित टिप्पणी के बाद भारत और सिंगापुर के रिश्तों के तल्खी होने की पूरी संभावना है.
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