ईरान ने अमेरिकी वार्ता को किया खारिज, परमाणु हमले को बताया 'विनाशकारी'

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका देश अमेरिका के साथ किसी भी नई परमाणु वार्ता के लिए तैयार नहीं है। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति लगातार यह संकेत दे रहे हैं कि जल्द ही ईरान के साथ वार्ता शुरू हो सकती है।
अराघची ने ईरानी सरकारी टेलीविजन पर दिए इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर 30,000 पाउंड बम गिराकर एक भारी भूल की है, जिससे ईरान के परमाणु ढांचे को गंभीर क्षति हुई है। उनका कहना है कि अब बातचीत का दरवाजा बंद हो चुका है।
अमेरिका के सैन्य हमले ने बढ़ाया तनाव
अराघची ने कहा,
"अब तक ना कोई बातचीत शुरू हुई है, ना कोई तारीख तय है और ना ही कोई प्रस्ताव स्वीकार किया गया है।"
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी सैन्य हमलों ने हालात को और जटिल बना दिया है और अब वार्ता की संभावना बहुत कम रह गई है।
2015 का समझौता और वर्तमान संकट
गौरतलब है कि अमेरिका 2015 में हुए परमाणु समझौते से एकतरफा बाहर निकल गया था, जिसमें ईरान ने प्रतिबंधों में राहत के बदले अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति दी थी। अब अमेरिका दोबारा वार्ता करना चाहता है, लेकिन ईरान इसे नकार रहा है।
ईरान में जासूसों पर सख्ती
इजरायल के साथ चल रहे संघर्ष के बीच, ईरान में कथित जासूसों पर शिकंजा कस रहा है।
सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई के बयान के बाद, शुक्रवार की नमाज में इमामों ने ऐलान किया कि
"इजरायल के लिए जासूसी करने वालों पर विशेष प्रक्रिया के तहत मुकदमा चलेगा।"
अब तक दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है, और कई को फांसी दी जा चुकी है, जिससे मानवाधिकार संगठनों में चिंता व्याप्त है।
इजरायल के हमलों में भारी नुकसान
13 जून से शुरू हुए इजरायली हमलों में अब तक
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30 ईरानी सैन्य कमांडर,
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11 परमाणु वैज्ञानिक, और
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417 नागरिकों सहित 1,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है।
इजरायल का दावा है कि उसने 720 से अधिक सैन्य और परमाणु-संबंधित ठिकानों को निशाना बनाया।