Nasa Viper Mission: भारत के बाद अब अमेरिका चंद्रमा पर भेजेगा VIPER, देखें कैसे करेगा  मून वॉक,  नासा से शेयर किया VIDEO

 
NASA

 

Nasa Viper Mission: चांद पर जाने के लिए भारत और जापान के बाद अब अमेरिका तैयार है। नासा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर और रोवर भेजने की तैयारी में है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया है कि वाइपर (VIPER) एक मोबाइल रोबोट है, जिसका काम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ और सांद्रता की खोजबीन करना है, ताकि चंद्रमा, मंगल समेत दूसरे ग्रहों पर मानवयुक्त मिशनों को अंजाम दिया जा सके। वाइपर का पूरा नाम वोलेटाइल्स इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर है। वाइपर पृथ्वी को छोड़कर किसी दूसरे आकाशीय पिंड पर पहला रिसोर्स मैपिंग मिशन है। नासा ने बताया है कि वाइपर को वाणिज्यिक चंद्र पेलोड सेवा (सीएलपीएस) कार्यक्रम के तहत 2024 के अंत में चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की योजना बनाई गई है।


चंद्रमा पर क्या करेगा VIPER ?

 नासा रोवर से मिले डेटा का उपयोग यह दिखाने के लिए करेगा कि चंद्रमा की बर्फ कहां मिलने की सबसे अधिक संभावना है और उस तक पहुंचना सबसे आसान कैसे होगा। इसके साथ ही VIPER किसी अन्य खगोलीय पिंड पर पहला संसाधनों का मानचित्र तैयार करने वाला दुनिया का पहला अंतरिक्ष मिशन बन जाएगा।वाइपर रेडी टू फ्लाई पेलोड डिस्ट्रिब्यूशन करने के लिए उभरते कॉमर्शियल लैंडर्स का इस्तेमाल करके चंद्रमा की सतह पर कॉमर्शियल लूनर डिलीवरी सर्विसेज के साथ साझेदारी करने के नासा के प्रयासों को बढ़ाएगा।  चंद्रमा के पहले संसाधन मानचित्र चंद्रमा की सतह पर दीर्घकालिक उपस्थिति स्थापित करने के लिए नासा के आर्टेमिस मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होंगे।

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VIPER रोवर में ड्रिल के साथ होंगे कई उपकरण

नासा ने कहा कि हम जानते हैं कि चंद्र ध्रुवों पर बर्फ है। लेकिन एक दिन इसका उपयोग करने में सक्षम होने के लिए, हमें उस पानी के बारे में और अधिक जानने की जरूरत है। VIPER अपने तीन उपकरणों और 3.28-फुट (1-मीटर) ड्रिल का उपयोग करके गहराई और तापमान पर विभिन्न चंद्र मिट्टी के वातावरण का पता लगाने और उनका विश्लेषण करने के लिए चंद्रमा पर घूमेगा। रोवर स्थायी रूप से छाया में रहने वाले गड्ढों में प्रवेश करेगा, जो सौर मंडल के कुछ सबसे ठंडे स्थान हैं। यहां अरबों वर्षों से बर्फ के भंडार मौजूद हैं।

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