Explainer:सर्वोच्च सम्मान से पीएम मोदी हुए सम्मानित, जानें क्या है ऑर्डर ऑफ नाइल? कितना फायदेमंद है हमारे लिए मिस्र

Explainer: दो दिन के दौरे पर मिस्र पहुंचे पीएम मोदी ने राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी से मुलाकात की। सीसी ने उन्हें मिस्र के सर्वोच्च राजकीय सम्मान 'ऑर्डर ऑफ नाइल' से सम्मानित किया। इसके पहले मोदी ने 11वीं सदी की अल-हाकिम मस्जिद का दौरा किया। इसे भारत के बोहरा समुदाय की सहायता से दोबारा बनाया गया है। प्रधानमंत्री हेलियोपोलिस स्मारक भी गए। यहां उन्होंने पहले विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
यह स्मारक राष्ट्रमंडल ने बनवाया है। यह उन 3,799 भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने इजिप्ट में प्रथम विश्व युद्ध के में अपनी जान गंवा दी थी। मोदी इजिप्ट के पीएम के साथ पिरामिड देखने भी गए। ये पिरामिड दुनिया के सात अजूबों में शामिल हैं। करीब आधे घंटे तक मोदी ने इन पिरामिड्स के बारे में जानकारी ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दो दिन के दौरे पर इजिप्ट पहुंचे। मोदी को एयरपोर्ट पर वहां के प्रधानमंत्री ने रिसीव किया। उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
इन देशों ने भी पीएम को दिया है सर्वोच्च नागरिक सम्मान
- पापुआ न्यू गिनी- कंपेनियन आफ द आर्डर आफ लोगोहू
- फिजी- द कंपेनियन आफ द अवार्ड आर्डर
- पलाऊ गणराज्य- एबाकल अवार्ड
- भूटान - आर्डर आफ द डुक ग्याल्प
- अमेरिका- लीजन आफ मेरिट
- बहरीन- किंग हम्माद आर्डर आफ द रेनेसां
- मालदीव - द आर्डर आफ द डिस्टिंग्विश्ड रूल आफ निशां इज्जुद्दीन
- रूस- आर्डर आफ सेंट एंड्रयू
- संयुक्त अरब अमीरात- आर्डर आफ जायद अवार्ड
- फलस्तीन- द ग्रैंड कालर आफ द स्टेट आफ फलस्तीन अवार्ड
- अफगानिस्तान- द स्टेट आर्डर आफ गाजी अमीर अमानुल्ला खान
- सऊदी अरब - आर्डर आफ अब्दुल अजीज अल सऊद
क्या है ऑर्डर ऑफ नाइल ?
इजिप्ट में इसे 'किलादात अल नाइल' कहा जाता है। 1915 में इसकी शुरुआत सुल्तान हुसैन कामिल ने की थी। यह अवॉर्ड उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने देश सेवा में अहम योगदान दिया हो। 1953 में मिस्र गणतंत्र बना और इसके बाद 'ऑर्डर ऑफ नाइल' को देश के सर्वोच्च सम्मान का दर्जा दिया गया। इसमें जो नाइल शब्द है, वो दरअसल नील नदी से जुड़ा है। इस अवॉर्ड की चार कैटेगरीज हैं।
कितना फायदेमंद है हमारे लिए मिस्र
इजिप्ट एक ऐसा देश है, जिसे डिप्लोमैटिक वर्ल्ड में 'डबल हैट' भी कहा जाता है। दरअसल मित्र अरब के साथ ही, अफ्रीकी देशों में भी शुमार किया जाता है। मायने ये हुए कि भारत अंगर यहां प्रभाव बढ़ाता है तो वो अरब के साथ अफ्रीका में भी मजबूत हो सकेगा। 2021-22 में भारत-मिस्र के बीच बाइलेट्रल ट्रेड 7.26 अरब डॉलर था। खास बात ये है कि ये बीते साल की तुलना में 60 प्रतिशत ज्यादा था। अब मोदी और प्रेसिडेंट सीसी इसे पांच साल में 12 अरब डॉलर तक ले जाना चाहते हैं। इजिप्ट सुएज नहर को इकोनॉमिक जोन में बदलना चाहता है। ये करीब 460 किलोमीटर लंबा ट्रेड स्ट्रैच है। इसमें अफ्रीका, अरब और यूरोप के 6 अहम पोर्ट शामिल हैं। चीन इस प्रोजेक्ट पर 1 अरब डॉलर खर्च कर रहा है। वो इसे बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का हिस्सा बनाना चाहता है। भारत इससे अच्छी तरह वाकिफ है और वक्त रहते यहां ज्यादा इन्वेस्टमेंट करना चाहते है।
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