PM Modi-Putin: यूक्रेन से वॉर के बीच पुतिन ने पीएम मोदी की जमकर की तारीफ, दिया ये बड़ा बयान

 
PM Modi-Putin: यूक्रेन से वॉर के बीच पुतिन ने पीएम मोदी की जमकर की तारीफ, दिया ये बड़ा बयान

PM Modi-Putin: यूक्रेन से युद्ध और अमेरिका से तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी की खूब तारीफ की है।मॉस्को में एक कार्यक्रम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम नरेंद्र मोदी के बारे में कहा, 'वह (पीएम नरेंद्र मोदी) उन लोगों में से एक है, जो एक स्वतंत्र विदेश नीति को लागू करने में सक्षम हैं, जो अपने लोगों के हितों के बारे में सोचते हैं और कदम उठाते हैं। भारत पर किसी तरह के प्रतिबंध लगाने के सभी प्रयासों के बावजूद, वह सख्त रहे और उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिसकी भारत को जरूरत है। पुतिन ने भारत और रूस के पुराने और मजबूत संबंधों का भी जिक्र किया। पुतिन मॉस्को में वल्दाई डिस्कशन क्लब की 19वीं वार्षिक बैठक में बोल रहे थे। पुतिन ने भारत की विदेश नीति की तारीफ करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी उन लोगों में से एक हैं, जो स्वतंत्र विदेश नीति को लागू करने में सक्षम हैं। वे एक सच्चे देशभक्त हैं। वे अपने लोगों के हितों की रक्षा करना अच्छे से जानते हैं। पुतिन ने कहा कि मोदी आइस ब्रेकर की तरह हैं। पुतिन ने जिक्र किया कि कई देशों और लोगों ने भारत कई तरह के बैन लगाने का प्रयास किया, लेकिन मोदी ने सबकी कोशिशें नाकाम कर दीं। पुतिन ने भारत के विकास को लेकर कहा कि उसने जबरदस्त सफलता हासिल की है। पुतिन ने साफ कहा कि भारत का ग्रेट फ़्यूचर है।

अमेरिकी दबाव के बाद भी नहीं झुके पीएम मोदी

यूक्रेन वॉर के बीच भारत पर रूस से रिश्ता तोड़ने को लेकर अमेरिका समेत पश्चिमी देश लगातार दबाव बनाते आ रहे हैं, लेकिन भारत ने झुकने के बजाय दबाव का बखूबी सामना किया. व्लादिमीर पुतिन ने इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत का सच्चा देशभक्त भी बताया और कहा कि आने वाला समय भारत का है

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पुतिन ने मेक इन इंडिया का भी किया जिक्र

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत की ऐतिहासिक प्रगति से भी खासे खुश दिखाई दिए. उन्होंने हिंदुस्तान की तारीफ करते हुए भारत के 75 साल के सफर का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में बहुत कुछ किया गया है. वह सच्चे देशभक्त हैं. 'मेक इन इंडिया' का उनका विचार आर्थिक और नैतिकता दोनों लिहाज से मायने रखता है. भविष्य भारत का है, इस बात पर गर्व किया जा सकता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

रूस और यूक्रेन एक दूसरे के शत्रु क्यों बन गए हैं?

10 बिंदुओं में समझिये पूरा मामला

  • यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है। 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हिस्सा था। 
  • रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 में तब शुरू हुआ जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ। जबकि उन्हें रूस का समर्थन था।
  • यानुकोविच को अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण फरवरी 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा।
  • इससे खफा होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वहां के अलगाववादियों को समर्थन दिया। इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 
  • 2014 के बाद से रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच डोनबास प्रांत में संघर्ष चल रहा था। 
  • इससे पहले जब 1991 में यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ था तब भी कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों में टकराव हुआ। 
  • 2014 के बाद रूस व यूक्रेन में लगातार तनाव व टकराव को रोकने व शांति कायम कराने के लिए पश्चिमी देशों ने पहल की। फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में दोनों के बीच शांति व संघर्ष विराम का समझौता कराया। 
  • हाल ही में यूक्रेन ने नाटो से करीबी व दोस्ती गांठना शुरू किया। यूक्रेन के नाटो से अच्छे रिश्ते हैं। 1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निपटने के लिए नाटो यानी 'उत्तर अटलांटिक संधि संगठन' बनाया गया था। यूक्रेन की नाटो से करीबी रूस को  नागवार गुजरने लगी। 
  • अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं। यदि कोई देश किसी तीसरे देश पर हमला करता है तो नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं। रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार न करे। राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहे थे।
  • आखिरकार रूस ने अमेरिका व अन्य देशों की पाबंदियों की परवाह किए बगैर यूक्रेन पर हमला बोल दिया। अब तक तो नाटो, अमेरिका व किसी अन्य देश ने यूक्रेन के समर्थन में जंग में कूदने का एलान नहीं किया है। वे यूक्रेन की परोक्ष मदद कर रहे हैं, ऐसे में  कहना मुश्किल है कि यह जंग क्या मोड़ लेगी। यदि यूरोप के देशों या अमेरिका ने रूस के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई की तो समूची दुनिया के लिए मुसीबत पैदा हो सकती है। 

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