जलवायु संकट से घिरा तुवालु: आधी आबादी ने छोड़ा देश, ऑस्ट्रेलिया बना नई उम्मीद

 
जलवायु संकट से घिरा तुवालु: आधी आबादी ने छोड़ा देश, ऑस्ट्रेलिया बना नई उम्मीद

प्रशांत महासागर में बसा छोटा द्वीप देश तुवालु आज जलवायु परिवर्तन की भयावह मार झेल रहा है। समुद्र का बढ़ता जलस्तर अब इसके अस्तित्व को निगलने की कगार पर है। इसी कारण अब इतिहास में पहली बार एक देश की सुनियोजित राष्ट्रीय पलायन योजना शुरू हुई है।

16 जून से 18 जुलाई 2024 के बीच चले वीजा रजिस्ट्रेशन अभियान में करीब 5,157 तुवालु नागरिकों ने ऑस्ट्रेलिया में बसने के लिए आवेदन किया — जो देश की आधी आबादी है।

समुद्र निगल रहा है तुवालु

तुवालु में कुल 9 एटॉल द्वीप हैं, जिनकी औसत ऊंचाई मात्र 2 मीटर (6 फीट) है। यहां समुद्र का स्तर बीते 30 वर्षों में 15 सेंटीमीटर तक बढ़ चुका है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक तुवालु का 50% हिस्सा डूब जाएगा, और 2100 तक 90% से अधिक भूमि लुप्त हो सकती है।

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तूफान, बाढ़ और खारे पानी की घुसपैठ ने फसलों और पीने के पानी को नष्ट कर दिया है। राजधानी फुनाफुती, जहां 60% लोग रहते हैं, 2050 तक रोज़ पानी में डूब सकती है।

फालेपिली यूनियन संधि: एक नई शुरुआत

2023 में ऑस्ट्रेलिया और तुवालु के बीच 'फालेपिली यूनियन संधि' पर हस्ताक्षर हुए, जो 2024 से लागू है। यह संधि हर साल 280 तुवालु नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में बसने की अनुमति देती है। उन्हें पढ़ाई, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी, और वे जब चाहें तुवालु लौट सकेंगे।

ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इसे “सम्मान के साथ पलायन” बताया है। पर तुवालु के कई लोग इसे एक “संस्कृति की विदाई” के रूप में देख रहे हैं।

भविष्य की अनिश्चितता और चेतावनी

वैज्ञानिक मानते हैं कि तुवालु अगले 80 सालों में निवास योग्य नहीं रहेगा। केवल 280 लोगों को सालाना वीजा मिलने से बड़ी आबादी पीछे छूटेगी। इससे ब्रेन ड्रेन यानी कुशल लोगों का देश छोड़ना बढ़ेगा, जिससे बाकी बचे लोगों के लिए जीवन और कठिन हो जाएगा।

एक मिसाल या सांस्कृतिक संकट?

जलवायु नीति विशेषज्ञ वेस्ली मॉर्गन के अनुसार, यह दुनिया की पहली ऐसी संधि है, जो जलवायु आपदा के चलते राष्ट्रीय स्तर पर पलायन का समाधान पेश करती है। पर यह सवाल भी उठाती है — क्या यह पलायन सम्मानजनक है, या अस्तित्व बचाने की अंतिम कोशिश?

तुवालु के कुछ लोग अपनी मिट्टी नहीं छोड़ना चाहते, पर युवा पीढ़ी बेहतर भविष्य की तलाश में है। वीजा नतीजे जुलाई के अंत तक आएंगे और 2025 के अंत तक पहले तुवालु नागरिक ऑस्ट्रेलिया जा सकते हैं।

यह कहानी एक डरावना संकेत है — कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ पर्यावरण नहीं, बल्कि पूरे देशों के वजूद को भी मिटा सकता है।

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